भारत में ट्रांसजेंडर छात्रों का पहला स्कूल केरल में शुरू हुआ
भारत के राज्य केरल के शहर कोच्चि में ट्रांसजेंडर बच्चों का पहला खुला है ताकि स्कूली शिक्षा से ड्रॉप आउट होने वाले छात्रों को पढ़ाई पूरी करने में मदद की जा सके।
स्कूल में शारीरिक और यौन हिंसा के चलते बहुत से ट्रांसजेंडर अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़ देते हैं।
पढ़ाई की राह आसान करेगा ‘सहज’
सामान्य बच्चों की तरह उनके लिए पढ़ाई जारी रखना आसान नहीं होता है। उनके इस सफर को आसान बनाने के लिए कोच्चि में ‘सहज इंटरनैशनल’ स्कूल की शुरूआत की गई है। यह पहल ट्रांसजेंडर समुदाय के लिए उम्मीद की रौशनी सरीखा है कि आने वाले समय में समाज में उनकी स्वीकार्यता बढ़ेगी और उनके प्रति होने वाले भेदभाव में कमी आएगी।
इस स्कूल का उद्घाटन ट्रांसजेंडर एक्टिविस्ट और लेखक कल्कि सुब्रमण्यम ने किया। इस वैकल्पिक लर्निंग सेंटर की शुरूआत नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ़ ओपन लर्निंग (एनआईओएस) के सहयोग से की गई है। यहां बीच में पढ़ाई छोड़ देने वाले ट्रांसजेंडर अपनी पढ़ाई जारी रख सकते हैं और दसवीं-बारहवीं की परीक्षा दे सकते हैं।
इस मौके पर कल्कि ने कहा, “आज का दिन महत्वपूर्ण है। ऐतिहासिक है। यह समय ऐतिहासिक है..जब हम ट्रांसजेंडरों के लिए लर्निंग सेंटर शुरू कर रहे हैं। भारत में अबतक ऐसी पहल कहीं नहीं हुई है। इस तरीके से अन्य राज्यों में ऐसी पहल के लिए यह सेंटर एक मॉडल का काम करेगा।”
यहां शिक्षक भी होंगे ट्रांसजेंडर
उन्होंने आगे कहा, “हम जैसे ट्रांसजेंडर लोगों को परिवार वाले छोड़ देते हैं, ऐसे में सुंदर ज़िंदगी की तरफ वापसी का एकमात्र रास्ता शिक्षा ही बचती है। हमारे माता-पिता हमें स्वीकार नहीं करते और इस कारण हममे से अधिकांश लोगों को गलियों में छोड़ दिया जाता है, भीख मांगने और सेक्स वर्कर बनने के लिए मजबूर होना पड़ता है। अगर हम अपने ही परिवार द्वारा छोड़ दिए गए और शिक्षा के अवसरों से वंचित लोगों की ज़िंदगी को बेहतर बनाना चाहते हैं तो इसमें बदलाव जरूरी है।”
बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक़ इस सेंटर की शुरूआत 10 छात्रों से होगी जिनकी उम्र 25-30 साल है। आमौतर पर 10वीं के लिए छात्रों की उम्र 15-16 और 12वीं के लिए 17-18 साल होती है। यहां के पाठ्यक्रम में व्यावसायिक कौशलों का भी समावेश किया जाएगा ताकि यहां पढ़ाई करने वाले छात्र आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर हो सकें। इस स्कूल में पढ़ाने वाले शिक्षक भी ट्रांसजेंडर होंगे। केरल पहला ऐसा राज्य है जहां ट्रांसजेंडर के प्रति होने वाले भेदभाव को रोकने के लिए पॉलिसी है। सभी को शिक्षा का अधिकार दिलाने की दिशा में यह क़दम काफी महत्वपूर्ण है।
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