उत्तर प्रदेशः नए सुधारों से बदलेगी स्कूली शिक्षा की स्थिति

बच्चे, पढ़ना सीखना, बच्चे का शब्द भण्डार कैसे बनता हैहर बच्चे पर होने वाले खर्च के हिसाब से उत्तर प्रदेश का नंबर पूरे देश में पहले स्थान पर है। मगर शिक्षा की स्थिति पूरे देश के सबसे निचले पायदान के ठीक एक क़दम ऊपर है। यह स्थिति एक ‘संकट’ की तरफ संकेत करती है। इस चुनौती से निपटने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार और मानव संसाधन विकास मंत्रालय साथ में मिलकर काम कर रहे हैं।

राजधानी लखनऊ में पत्रकारों के साथ एक अनौपचारिक मुलाक़ात में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शिक्षा के क्षेत्र पर विशेष ध्यान देने और इसे बेहतर बनाने की बात कही थी। इसी सिलसिले में 10 जून को इकॉनमिक टॉइम्स की एक रिपोर्ट में अनुभूति विश्नोई की रिपोर्ट प्रकाशित हुई है, जिसमें उत्तर प्रदेश में स्कूली शिक्षा को बेहतर बनाने के लिए राज्य सरकार और मानव संसाधन विकास मंत्रालय क्या प्रयास करने जा रहे हैं, उनकी विस्तार से चर्चा की गई है।

बदलेगी डाइट की भूमिका, सेवा-कालीन प्रशिक्षण पर होगा ज़ोर

इस रिपोर्ट की सबसे ख़ास बातों में से एक है कि सरकार ट्रांसफर पॉलिसी को ज्यादा पारदर्शी बनाएगी। इसकी प्रक्रिया को ऑनलाइन किया जाएगा। जिन स्कूलों में ज्यादा शिक्षक हैं, वहां से उनका स्थानांतर एकल विद्यालयों (सिंगल टीचर स्कूल) किया जाएगा ताकि एकल विद्यालयों की संख्या को कम किया जा सके। इसके साथ विद्यालयों में विषयवार शिक्षकों की उपलब्धता सुनिश्चित करने पर भी ध्यान देने की बात कही गई है।

उत्तर प्रदेश आबादी के हिसाब से भारत का सबसे बड़ा राज्य है। यहां 4.84 करोड़ बच्चे 2.56 लाख स्कूलों में पढ़ते हैं। नए सुधारों में शिक्षा से जुड़े पाठ्यक्रम का संचालन करने वाले उन संस्थानों की मान्यता रद्द करने की भी बात की गई है, जो एनसीटीई के मानकों पर खरे नहीं उतर रहे हैं। इसके साथ ही ज़िला शिक्षा एवम प्रशिक्षण संस्थान (डाइट) की भूमिका को फिर से परिभाषित करने की बात कही गई है ताकि सेवा-कालीन प्रशिक्षण के ऊपर ज्यादा ध्यान दिया जा सके। इसके साथ ही विषयवार और माँग के अनुरूप शिक्षकों की भर्ती व्यवस्था को अमल में लाने की बात भी कही गई है।

बढ़ेगी तकनीक की भूमिका

कक्षा कक्ष में होने वाले अध्ययन-अध्यापन की तकनीक के माध्यम से समीक्षा करने की बात भी की गई है। यानि शिक्षा की स्थिति को बेहतर बनाने के लिए तकनीक के इस्तेमाल को सरकारी की तरफ से प्रोत्साहित किया जा रहा है। स्कूल लीडरशिप पर काम करने पर विचार हो रहा है। इसके साथ ही सरकारी स्कूलों के साथ ही आँगनबाड़ी केंद्रों को लाने की योजना पर भी चर्चा हो रही है। शैक्षिक मानकों पर सबसे निचले स्तर पर रहने वाले 25 प्रतिशत ज़िलों पर ध्यान दिया जाएगा, ताकि वहां के शिक्षा स्तर में भी सुधार किया जा सके। उम्मीद करते हैं कि ऐसे प्रयास शिक्षा के क्षेत्र में होने वाले बदलाव के प्रयासों को प्रोत्साहित करेंगे। ऐसे प्रयासों की वर्तमान में सबसे ज्यादा जरूरत भी है ताकि उत्तर प्रदेश को शिक्षा के गिरते स्तर के इस ‘संकट’ से उबारा जा सके।

 

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