मुंबई यूनिवर्सिटी: पाठ्यक्रम में बदलाव पर होने वाली चर्चा में छात्रों ने रखे अपने विचार
आमतौर पर विश्वविद्यालय स्तर पर छात्र-छात्राओं से शिक्षकों के बारे में फीड़बैक लिया जाता है, मगर उनके विचार को बहुत ज्यादा महत्व नहीं दिया जाता है। शिक्षण प्रक्रिया और पाठ्यक्रम के निर्माण को निर्धारित करने में विद्यार्थियों की कोई प्रत्यक्ष भूमिका नहीं होती है।
इस यथास्थिति को तोड़ने की पहल मुंबई यूनिवर्सिटी की तरफ से हुई है। हिंदुस्तान टाइम्स में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार पाठ्यक्रम निर्माण में स्टूडेंट्स की भागीदारी से भारत में शिक् व्यवस्था में बदलाव को एक नई राह मिल सकती है।
इस रिपोर्ट के अनुसार जीवविज्ञान के तीसरे वर्ष के पाठ्यक्रम को बेहतर बनाने के लिए छात्रों के साथ बातचीत की गई। यह प्रयास छात्रों के विचारों को बदलाव में जगह देने के लिए किया गया। हालांकि इसे लेकर सवाल भी खड़े किये जा रहे हैं कि इस तरह के संवाद कितने सक्षम हैं? जो पाठ्यक्रम छात्र-छात्राओं के अध्ययन के लिए निर्धारित होता है, क्या उसके निर्माण में छात्रों की भी हिस्सेदारी होनी चाहिए। ऐसे सवाल अपनी जगह चर्चा का विषय हो सकते हैं, मगर छात्र-छात्राओं को अपनी बात कहने के लिए प्लेटफॉर्म उपलब्ध कराना और उनकी बातों को महत्व देना वास्तव में ग़ौर करने लायक है।
इस लेख के बारे में अपनी टिप्पणी लिखें