आरव की डायरीः पढ़िए दिल्ली के चिड़ियाघर के सैर की कहानी
डायरी के यह पन्ने इस मायने में बेहद ख़ास हैं क्योंकि यह दूसरी कक्षा में पढ़ने वाले एक स्टूडेंट ने लिखी है। उनका नाम आरव है। उनकी लेखनी में कैसे चिड़ियाघर की तमाम यादें खिंची चली आती हैं, आप उनकी लेखनी से गुजरते हुए पढ़ते हुए महसूस कर सकते हैं। इसे पढ़ते समय एक बच्चे की नज़र से चिड़ियाघर की पूरी यात्रा को महसूस करने की कोशिश करिए (मात्राओं और व्याकरण से बेपरवाह होकर) और आनंद लीजिए।
मुझे पूरी उम्मीद है कि यह पोस्ट पढ़ने के बाद अपनी टिप्पणी जरूर लिखेंगे ताकि एक बच्चे को उसके हिस्से का प्रोत्साहन और स्नेह मिले ताकि लिखने का यह सिलसिला उत्साह के साथ जारी रहे। तो फिर पढ़िए आरव की कलम से दिल्ली के चिड़ियाघर विज़िट की डायरी।
दिल्ली के चिड़ियाघर की सैर
हम 12 मार्च 2019 को दिल्ली के जू (zoo) गए थे। ये मेरा बस दुसरा जू है। पहला जू मैंने पुने (पुणे) मे देखा था। उधर बहूत साँप थे। पर मैंने शेर नही देखा, उधर शेर तो था, लेकिन हम लेट हो गए। देखने के लिए शेर नहीं मिला। मैं बहुत खुश था जू जाने के लिएI जब मेरे जू जाने के पिछले दिन के रात को वैभव अंकल और अनामिका दीदी आई थीं, वह भी हमारे साथ जू आ रहे थे। फिर अगली सूबह उन्होंने कैब बूक करवाई। कैब बुक करवाके वो उसमें बैठ कर आए और हम उसमें बैठ गए।
रास्ते मे मूझे नींद आने लगी तो मैं सो गया। पर जब मैं सोया तब मेरे पापा मूझे धक्का लगाके उठा देते और बोलते की बाहर देखो सोओ मत। जब मेरे पापा का ध्यान भटक गया तब मैं सो गया एक मिनट तक उनका ध्यान कहीं और था पर एक मिनट मे मूझे नींद नही आई, फिर मेरे पापा ने मूझे फिर धक्का दिया और मै उठ गया। उसके बाद हम उसके गेट पर पहुँचे। पर हमे लगा कि वह गेट नही है फिर हम आगे गए आगे जाने के बाद हमे बहूत सारे गेट दिखे उन गेटो के उपर डाईरेक्टरस रूम ऐसा कुछ था , तो डाईरेक्टरस रूम के गार्ड से हमने पूछा कि एन्ट्रेन्स गेट कहा है तो उन्होने इशारा करके कहा कि उधर है , तो हम उधर गए तो आपको पता है कि एन्ट्रेन्स गेट कौन सा था , वही वाला जहाँ पे हम पहुंचे थे। तो हम गाड़ी से उतर गएI उतरने के बाद मेरे पापा ने बोला कि हम दोनों टिकिट निकालके लाते हैं।
आईसक्रीम और गार्डन के सुंदर फूल
मैंने सुबह कुछ खा नहीं रहा था तो मेरे पापा ने कहा कि तूम अभी खालो फिर मैं तुम्हे जू में जाकर कुछ खाने को दूँगा। अगर तुमने अभी नहीं खाया तो मै उधर तुम्हे कुछ नही दूँगा फिर मैंने खा लिया। ऐसा मेरे पापा ने सूबह कहा था, फिर मैं, मेरे पापा से कहने लगा की आपने मुझसे कहा था कि अगर मैंने खाया तो आप मुझे कुछ खाने के लिए देंगे तो आप मुझे दे नहीं रहे तो फिर मेरे पापा ने कहा की बाद मे मै तुम्हे दूँगा , तो फिर मै बोलने लगा कि मुझे अभी चाहिए – मुझे अभी चाहिए ऐसे हि बोलते रहने से पापा गुस्सा हो गए तो मुझे उन्होने मार दिया ज्यादा भी तेज नहीं पर मै रोने लगा। फिर मेरे मम्मी ने मूझे पास बुलाया और कहा कि मै तुम्हे आइस्क्रीम खिलाती हूँ।
वहाँ आइस्क्रीम वाली गाड़ी तो थी पर उसमे आइस्क्रीम वाला नही था तो हम आगे गए तो मुझे एक लड़का दो आइस्क्रीम के डब्बे उठाते हुए उसकी आइस्क्रीम की गाड़ी की तरफ जाते हुए देखा तब मुझे ये पता नही था की वह आइस्क्रीम वाला है पता है की मुझे ये कैसे पता चला मैंने उसे डब्बे लेके जाते हुए देखा और वो भी आइस्क्रीम की गाड़ी कि तरफ तो मैंने पहचान लिया की वो आइस्क्रीम वाला है तो फिर हम दोनो ने आइस्क्रीम खाई।
फिर हम वहा गए जहा पे वैभव अंकल ने और मेरे पापा ने टिकिट निकाली थी वही से हमारी चेकींग हुई और हम जू के गार्डन मे आए। वहाँ पे इतने सुंदर फूल थे की मै बता भी नहीं सकता। उस गार्डन मे एक पाण्डा भी था। फिर मैं उसमे देखते देखते चल रहा था। जब मैंने देखा नीचे तो वैभव अंकल ने कहा कि इसमे एक क्रोकोडाइल है पर तब जू शुरू ही नहीं हुआ था फिर हम चलके आगे गए तो हमे दो लाइन दिखी एक लाइन थी गाड़ी की टिकट के लिए और एक थी जिसने टिकिट ली वो खड़ा होगा गाड़ी के आने के लिए इंतजार करने के लिए। तो फिर हम गाड़ी की टिकिट, लेने की लाइन मे लग गए।
चिड़ियाघर में हमने बाघ देखा
टिकिट लेने के बाद हम जब दूसरी लाइन मे लगे तो एक जू वाले आदमी ने कहा कि जिनके पास टिकिट है वो आगे आ जाओ। हमारे पास चार पेपर की बैंड थी एक बैगनी और चार सफ़ेद, सफ़ेद वाली बड़ो के लिए थी और बैगनी बच्चों के लिए फिर हम गाड़ी मे बैठ फिर हम आगे गए।
एक स्टॉप पे आने के बाद उन्होने कहा इस साइड बाघ है और उस साइड चिम्पानजीस और बंदर। फिर हम बाघ वाली साइड गए। थोड़ा सा आगे जाने के बाद हमें एक बहुत बड़ा तालाब दिखा और उसके किनारोके पेड़ो पर या तालाब मे बहुत सारे पानी वाले पंछी दीखे। वहाँ पे हमें बतख , सारस और बहुत सारे पंछी दिखे पर ज्यादातर सारस हि थे। फिर हम उसके आगे गए आगे जाने के बाद हमें एक रूम दिखी जिसके दरवाजे के आगे खून-खून था और उधर बदबू भी आ रही थी , उसके ठीक आगे एक बाघ था पर वह बाघ पिंजरे मे नहीं था जैसे पुने (पुणे) मे बाघ का पिंजरा था वैसे इधर नहीं है इधर वह कंपाउंड के अन्दर है। उसका मुँह उसके स्ट्राइप्स और उसके पूंछ इतनी अच्छी थी और मै थोड़ा सा डर गया। उसने मुँह खोला तो मैं बहुत डर गया। फिर हम उसी रास्ते से आए और चिम्पानजी वाले रास्ते से गए हमें वहा एक बंदर दिखा हमने सोचा यहाँ एक ही बंदर क्यों है ? फिर हम आगे गए और वैसे भी शेर को पकडने से आसान तो बंदरो को पकडना आसान है।
जब हम आगे गए तब हमे पेड़ो के पीछे वाले बंदर दिखे। उसके बाद हमें एक बड़ा सा चिपांजी दिखा। और आगे तो हमें हिरन दिखने लगे जहा पे हमने एक बाघ देखा उधर जहा पे हम खड़े थे उसके ठीक पीछे मुझे हिरन दिखने लगे पर वो जंगल था मत्लब पेड़ थे और उसके पीछे नेट और नेट के पीछे हम थे। जब हमने हिरन देखा तो मुझे लगा की बारासिंगा था पता है मुझे क्यों लगा की वो बारासिंगा है क्योंकि उसमे कोई एक बच्चे हिरन के सींग आठ थे। जू वालो की गलती हो गयी होंगी जब वो बारासिंगा एकदम छोटा सा बारासिंगा होगा तब उसे सिंग नहीं होंगे इसलिए उनकी गलती हो गयी होगी। उसके बाद हमने एक नील गाय देखी वो नीली नहीं है, पर वो उसका नाम है। उसके बाद हमने वो गाड़ी पकड़ी।
चिड़ियाघर में फ्रूटी पीते बंदर भी दिखे
गाड़ी पकड़ने के बाद उस गाड़ी के ड्राईवर ने कहा की इधर राइनोसोर है और उधर हायना और हिप्पो पोटैमस है। तो हम राइनोसोरस के यहाँ गए। वो विशालकाय भारतीय राइनोसोरस था उसका सिंग थोडा सा छोटा सा था उसकी खाल उसके खाल की लेयर्स अच्छी थी। वो एक बहुत बड़े यार्ड मे अकेला था और उसने अपनी पूरी तरह से अपनी बोडी दिखाई और पता है की उसने कैसे परफोर्म किया। उधर बहुत सारे पेड़ थे और वह थोड़ी देर के लिए आगे आया फिर वो धीरे धीरे पीछे गया, वहाँ से वह तेजी से आया जिस जगह से उसने भागना शुरू किया वहा पर मुझे एक पेड़ की डाली टूटकर नीचे गिरते हुए देखी और सुनी। फिर हम हायना वाले रास्ते से गए जब हम उस रास्ते पे गए तब हमें हायना दिखा , जब हम उसे देखने आये तो तब वो निचे चला गया फिर वो दुसरे रास्ते से आया , जब तक वो हायना दुसरे रास्ते से आता तब तक हमने फ्रूटी पीते हुए बंदर दिखे।
फिर हम हायना वाले रास्ते से हम आगे बढे। आगे जाके हमें तीन बड़े हिप्पो पोटैमस दिखे एक था बच्चा और दो थे बड़े फिर हम आगे गए वहा पे तीनो बड़े थे , एक हिप्पो पोटैमस ने इतना बडा मुँ किया था की दूसरा उसपे झपट गया पर दोनों को कुछ नहीं हुआ। फिर हम आगे बढे वहा पर हमें एक रंगबिरंगी चोंच वाला पक्षी दिखा उसकी आँखे उसकी चोंच के पास जैसे हमारी आँख के पास उस पंछी की चोंच है वैसे ही हमारे कान की जगह उसकी आँखे है उसका नाम ध से है लेकिन मुझे उसका पूरा नाम नहीं पता है। उसका नाम मुझे याद आ गया –धनेश। फिर हम आगे गए आगे जाके हमें एक शेर दिखा। अच्छा हुआ कि हम हिप्पो पोटैमस की जगह पर ज्यादा नही रुके नही तो हमारा शेर का देखना होता ही नही पर उसने भी अपना पूरी तरह प्रदर्शन दिखाया पता है उसने क्या दिखाया।
‘क्रोकोडाइल मरा हुआ सा लगा’
पहले उसने राउंड लिया फिर वो अपने केज के पास खड़ा हुआ मत्लब वो केज के दरवाजे के पास बैठा था फिर खड़े होकर वही पर उसने एक राउंड लगाया फिर एक लडके ने केज का दरवाजा खोला और वो भी केज के अंदर से और शेर ने भी कुछ नहीं किया मत्लब वो शेर ट्रेन्ड होगा I फिर हमने एक इंडिकेटर देखा फिर हमने उसपर देखा की उधर सांपघर है और इधर बबून और जागूआर है फिर हमने एक जागूआर का पिंजरा दिखा लगता है की वो अपने घर मे चला गया हो फिर हम आगे गए हमे एक बबून का एरिया दिखा बस खाली एक रूम और एक नदी के आकार जितना गोल और गोल के पास एक बिल्ली थी वो गोल उस मैदान के चारो तरफ से घिरे हुए होते है और वो बिल्ली उस गोल के एक दम कार्नर पे थी वो निचे देखकर म्याऊं म्याऊं कर रही थी I
अरे मैं क्रोकोडाइल के बारे में लिखना तो भूल गया। अब लिख लेता हूँ जब हम क्रोकोडाइल के पास गए तो मूझे वो मरा हुआ सा लग रहा था और मेरे पापा बोल रहे थे कि वो जिन्दा है और सोया है। बबून के बाद हमने आगे जाके ब्रेक लिया और बैठ गए। बैठने के बाद हमने वो वाली गाड़ी ली और उसका ड्राईवर भूल गया था कि हमारे बैंड चेक करने है। फिर हम बैठ गए गाड़ी में, गाड़ी पे हमें इमू का साइन बोरड भी था। फिर मै, मेरे पापा को बताया कि यहाँ इमू है फिर हम उतर गए उसके बाद हम इमू के पास गए। इमू एक दूसरा बड़ा पंछी है विश्व में। वो अपनी मम्मी या पापा के पास ही रहता है या कोई दोस्त के पास। हमें बहूत सारे मोर दिखे उन्हें जू वालो ने पकड़ा नहीं है। वो बस यहाँ मजे करने आते और टहलकर चले जाते।
मेरा जू जाने का सपना पूरा हो गया
हमने एक हाथी भी देखा था। वो ज्यादा भी बंद नहीं थे। वो बस दिख रहे थे एक था मेल और एक थी फिमेल मेल ज्यादा अन्दर था। फिमेल थोड़ी बाहर तो सबसे अच्छी फिमेल दिख रही थी। फिर हम एग्जिट गेट पर आ गए वहा पे हम फूलो के पास बैठे थे हमने बहुत सारी फोटो निकाली। फिर हम बाहर निकले हमने अपनी बैग्स लिए और आगे गए और जू के आगे रेस्ट्रोरेन्ट मे गए। हमने मेनू कार्ड देखा मैंने एक बर्गर माँगा, पापा और मम्मी ने पाव भाजी मांगी और वैभव अंकल और अनामिका दीदी ने छोले भटूरे मांगे। तो मै और मेरे पापा खाना लेके आए मैंने खाना खा लिया तो मै मेरे पापा से मांगने लगा तो फिर मेरे पापा ने कहा कि तुम्हे भूख लगी है तो मै तुम्हे क्या लाऊं। तो फिर मैंने डोसा माँगा और लस्सी। मै डोसा छुपा के खा रहा था। हमारा खाना, खाना हो गया था फिर हमने फोटोस खिचे और फिर हम घर वापस आ गए।
घर आकर भी मैंने बैंड नहीं निकाले। आज मेरा जू जाने का सपना पूरा हो गया पता है। मैं आज तक जू क्यों नही जा पाया हूँ क्योंकि हर शनिवार को मेरे पापा सोते रहते या कहीं गए होते है या वो करते है या ये करते है पर ज्यादातर सोते ही हैं। मैंने कभी सोचा भी नहीं था की इस जू (zoo) मे इतने बड़े-बड़े एनिमल्स होंगे। इस जू में पता है वो प्राणी होते है जो कभी हम देख ना सके पुने (पुणे) मे तो शेर नहीं था, राइनोसोरस भी नहीं था और हिप्पो पोटैमस भी नहीं। पर ये जू मूझे बहूत अच्छा लगा।
आरव के लेखन के सिलसिले को प्रोत्साहन कैसे मिला
आरव राउत का जन्म 25 जुलाई 2010 मे हुआ। आरव शुरू से ही प्रिंट रिच वातावरण मे पला बढ़ा, यही वजह थी की उसका पढ़ने और लिखने की तरफ एक रूझान विकसित हुआ। आरव की मातृभाषा मराठी है। हिंदी सेकंड लैंग्वेज है , जो उसने दिल्ली आकर सुननी और पढ़नी शुरू की जब उसके पापा महाराष्ट्र से दिल्ली ट्रान्सफर हुए , आरव उस वक्त सिर्फ 6 साल का था , छोटी उम्र मे बच्चे भाषा जल्दी सिख जाते है, सो आरव ने भी सीख ली।
घर मे हमेशा से ही आरव को अपने मन की बात लिखने की स्वतंत्रता थी, कभी भी उसे उपदेशात्मक लिखने के लिए बाध्य नहीं किया गया I यही वजह थी की उसने जल्दी ही लिखना-पढ़ना सीख लिया। बचपन मे ही उसने लिखने की तकनीकी चीजें समझ लीं। मुझे याद है जब आरव कक्षा 1 मे पढ़ता था (saint maththews public School, Paschim Vihar, Delhi) तभी से उसने लिखना शुरू कर दिया , सबसे पहले उसने 5 अप्रैल 2017 मे लिखा और तबसे अब तक उसने विविध विषयों पर लिखा , उसकी राइटिंग के सारे पन्ने संभालकर रखे हैं।
लिखने की यात्रा के दौरान कभी भी उसे टोका नहीं गया किसी गलती के ऊपर , बस चाहते यह थे की वह लिखता जाये बिना किसी व्याकरण में अटके। यही बात उसे लिखने के लिए हौसला देती क्योंकि उसे पता था की मम्मी कुछ नहीं कहेगी अगर कुछ गलत हो जाये तो। आरव किसी एक टॉपिक के बारे मे एक पेज या कई पेज लिखता है बहुत ही डिटेल के साथ ।
उसके लिखे हुए टॉपिक देखे जाये तो उसमें काफी विविधता है जैसे कि – जानवरों का मेला, मैंने देखा हुआ सपना, आज का दिन, मेरा प्रिय खेल , मेरी छुट्टिया , आम, ग्लोब, मेरी रेल यात्रा बडनेरा से दिल्ली , मेरी दिल्ली की पहली फिल्म , बैडमिंटन , स्कूल का पहला दिन , पेड़ के पत्ते, पत्थर , मैप्स, एयर कंडीशनर , एअरपोर्ट म्यूजियम, दीवारों का इस्तेमाल , समुंदर के पत्थर , माय बर्थडे, मेरा घर, पेन, रक्षाबंधन , लाइट , किताब, स्वतंत्रता दिन, दही हांड़ी , धरती , जस्ट चिल्ल वाटर एंड फन पार्क , भूतनी का सपना, फनी स्कूल , इस बार की दिवाली , फ्रिज , मेरे खिलोने , साइंस म्यूजियम , लोह चुम्बक का खेल , गार्डनिंग , मोबाइल , आज के स्कूल का दिन , टॉय लैंप , ब्लैंकेट , मै , प्लास्टिक का अंडा , अ बोउन्सिंग बॉल , सर्कस , बॉल और बैट , भूल भुलैया की किताब , साइकिलिंग और चोर पुलिस , किताबे, मेरा पसंदीदा फल, मेरा राकेट क्यों नहीं उड़ा , पौधे का जन्म , अक्षरधाम, लैपटॉप , बाल भवन की सैर , शिमला की ट्रिप, दिल्ली का जू , चोखी ढाणी इत्यादि।
Beautifully written by little champ. A perfect way to encourage our little ones to explore writing.
Very nice aarav. Keep it up
Very interesting subject pin to pin words connectivity.I think you great writer coming days.best of luck.
Excellent Aarav👌👌👍
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Nice article, keep it up.
Very nice.
Bacche ki Naisargik Sahjata ka yeh ek uttam udaharan hai,Abhiwyakti ki Swatantrata yeh sabase pahale ma bap ki hi jimmedari hai. All the best Aaraw ,Aur apne papa ko sone diya karo sabere. sohailkhansir
Bacche ki Naisargik Sahjata ka yeh ek uttam udaharan hai,Abhiwyakti ki Swatantrata yeh sabase pahale ma bap ki hi jimmedari hai. All the best Aaraw ,Aur apne papa ko sone diya karo sabere.
very nice, keep writing and share few more interesting write ups
Very nice Aarav. …! You have very good writing skill. ..keep it up.
आरव की डायरी..पढने के बाद मुझे कृष्ण कुमार जी की बच्चो की भाषा और शिक्षण इस किताब की याद आयी. इसमे साप लिखा है की बच्चे भाषा कैसे सिखते है. जब मैं आरव की डायरी पढ़ी तब बहोत अच्छे से उसको कनेक्ट कर पाया. आरव की मातृभाषा मराठी है फिर भी आरव ने बहोत अच्छे से खुदके विचार, भावना और अनुभव को प्रधान किया है. भाषा शिकणे केलिये वातावरण निर्मिती करना जरुरी होता है. वो सब कूच आरव के मम्मी पापा ने किया है.
आरव की सफलता के पिच्चे उसके मम्मी और पापा का योगदान बहोत बढा है. कास ऐसे मम्मी पापा सब को मिल जाते तो बच्चे बहोत जल्दी और सहज सिख जाते.
आरव आपको बहोत सारी शुभ कामना आप ऐसे ही अच्छी अच्छी कहाणी लिखते रहे…
Veri nice have bright future
Nice one aarav have bright future
आरव ने डायरी लिखते समय आपने यादोंको और अनुभवों को बहुत बेहतरीन तरीखे से साझा किया है। आरव के इन्ह बातोंसे बच्चों के विचारोंकी प्रगल्भता को समज़नेमें मदत मिल सकती है। बच्चोंके परिवेश से जुडी बातें ज्यादातर समाज के द्वारा बच्चोंको नासमझ मानकर नजरअंदाज कि जाती है, या तो फिर उन्हें मौका ही नहीं दिया जाता। और ऐसी परस्थिति बनाई जाती है की बच्चोंको सिर्फ अकादमिक अभ्यास से बच्चे सिख पते है। और इसी प्रक्रिया में व्यस्त रखकर ही बच्चो को छोड़ दिया जाता है, औiर आजतक बच्चे समाज के इस समझ का शिकार बनते आये है। बच्चों को आगे के जीवन में आरव जैसे अनुभवों की जरुरत है। इस बात को समज़कर अगर हम ये फ्री राइटिंग को बढ़ावा दे तोह हमें बच्चों के विकास में उपयुक्त और मदतगार साबित हो सकता है। आरव के राइटिंग के लिए बहुत शुभकामनाये।
Very nice writing with added proper pictures.and wish u all the best Aarav.
Aarav very nice itni kam age me bahot achhi writing ki hai.aur good observation bhi kiya hai.aur writing& pictures ka bahot achha combination kiya hai.all the best.
Very very nice Aarav,keep on writing,All the best.
Superb
Keep it up Aarav
🌷🌷🌷🌷
Very nice!!!
आरव को उनके घरवालोने उनके घर मे ही पढनेलायक वातावरण बानाया जैसा उन्हे कहा की प्रिंट रिच एन्वार्यमेंट। स्कूल कौनसा भी हो स्कूल पर भरोसा रखने के बजाए आज कल माता पिता को घर मे ही बच्चोंकी पढाई का ध्यान देना पडता है। तभी तो बच्चे इस तरह से कुछ अलग कर सकते है।
Keep it up Aarav
🌷🌷🌷🌷🌷
Very nice Aarav 🌹🌹🌹
Nice aarav your observation is very deep. Keep it up and best of luck for your feature.
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Bahut accha lagte yaar well done keep it up is safar ko Rokne mat dena all the best
Bohat atche Aarav itni choti umar me itna atcha likha very nice bohot aage jaoge tum all the best for your future
Very nice Arav, very micro observation,a big congratulations for your efforts, keep it up……
आरव को बहुत-बहुत बधाई। उनकी लेखनी में अनुभवों को शब्दों में बदल देने का हुनर है। यह सतत विकसित हो रहा है। आप सभी का प्रोत्साहन और स्नेह आरव तक पहुंचे और उनकी लेखनी से ऐसे ही अनुभव बरसते रहें।
I have seen Aarav expressing his observations through stories and drawing pictures at the age of 4.
It is surprising to read such good hindi and micro,compairative observations.
I would like to read his writting and stories.
Very well done Aarav.Keep it up.
Very nice aarav keep it up wish you all the very best👌👌👌
Very nice aarav 🌹🍬🍫
Good going!
Keep it up!
All the very best!
Bohat mast Aarav ase likhte raho… All the best…..
So nice aarav.. keep it up..aisehi lekhate rehana..ap bohot agae jaoge.. Congratulations
Bohat acche aarav….
Very nice Aarav. Aapne bhut achchya likha. Aise hi likhate rho. All the best.
Very nice 👌👌👌👌
Very nice aarav, great going, keep it up, wish you all the very best.
Wow great achievement hero keep going on., lots of love and blessings for u…
Very nice obsevation and articulation Aarav a big congratulations for your efforts as a father I also reflected on two things one is papa was mostly sleeping, i also do the same thing, next time will do not do sleep, will some actions and another is environment around you, so that you build this level writing skill in so early age.
Written with very lucid language n very micro observation…
Really it’s surprising from the kid of this age…
Aarav,it’s very nice…Keep on writing…👍👌💐
Bohat ache aarav itni choti umar mai etna kuch Likha, vobhi itna details mai…..👌👌👌👌