स्कूल या समुदाय में ‘पाठक रंगमंच’ की गतिविधि कैसे करें?
रीडर्स थियेटर को हिन्दी में पाठक रंगमंच भी कहते हैं। इसकी शुरूआत द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान ज्यादा लोकप्रिय हुआ। उश समय संसाधनों की काफी तंगी थी, इसके कारण रंगमंच जैसे महंगे आयोजन करना संभव नहीं था। ऐसे में सैनिकों द्वारा पाठक रंगमंच के द्वारा अपना मनोरंजन किया जाता था। इसमें विभिन्न व्यक्तियों द्वारा नाटक के संवाद को बोलकर पढ़ा जाता था। इस विधा को बाद में स्कूली शिक्षा के क्षेत्र में भी काफी लोकप्रियता मिली।
‘रीडर्स थियेटर’ के फायदे
इसके बारे में एक ख़ास बात है कि पाठक रंगमंच में पाठक अपना संवाद रटते नहीं हैं। इस गतिविधि को करने के लिए हम पहले किसी नाटक की लिखित स्क्रिप्ट का चुनाव करते हैं। फिर उसे जीवंत अभिनय के लिए विभिन्न पात्रों में बाँटते हैं ताकि हर किसी को अपने संवाद से परिचित होने का अवसर मिले और गतिविधि करते समय कोई झिझक न हो रही हो। रीडर्स थियेटर या पाठक रंगमंच के 4 सबसे बड़े फायदे हैं
- इससे धारा प्रवाह पठन और समझ के साथ पढ़ने की स्थिति में सुधार होता है
- समूह या टीम में पढ़ने की खुशी पाठक रंगमंच के दौरान सहज ही उपलब्ध होती है
- विद्यार्थियों के लिए खुशी-खुशी सीखने का एक अच्छा जरिया है पाठक रंगमंच
- मौखिक अभिव्यक्ति की क्षमता का विकास होता है और समूह में काम करने या अपनी बात रखने की झिझक दूर होती है।
‘रीडर्स थियेटर’ के दौरान ध्यान रखने वाली बातें
रीडर्स थियेटर के दौरान ध्यान रखने वाली बातें इस प्रकार हैंः
- पाठक रंगमंच के दौरान ध्यान रखें कि किसी पात्र के संवाद को बोलते समय आपका उत्साह/खुशी या सक्रियता अभिव्यक्त होनी चाहिए।
- किसी संवाद को हाव-भाव व उतार-चढ़ाव के साथ पढ़ें।
- संवाद को बोलते समय अर्ध व पूर्ण विराम का भी ध्यान रखें।
- जब आप संवाद बोल रहे हों तो आपकी आवाज़ इतनी तेज़ हो कि बाकी प्रतिभागी और श्रोता आसानी से सुन सकें।
- संवाद को बोलने की रफ्तार बहुत तेज़ या बहुत धीमी न होकर संतुलित हो।
- रीडर्स थियेटर के दौरान प्रतिभागी किसी गोल घेरे में बैठ सकते हैं या फिर खड़े होकर लोगों के सामने अपने संवाद पढ़ सकते हैं।
- इस गतिविधि के दौरान ध्यान रखने वाली बात है कि नाटक की स्क्रिप्ट हर किसी के पास होनी चाहिए
- नाटक में इस्तेमाल होने वाले कोरस या गीत इत्यादि को पहले से समूह में तैयार कर लें व निर्धारित कर लें कि कौन-कौन इसको पढ़ने में हिस्सा ले रहा होगा।
- जब रीडर्स थियेटर वाली गतिविधि चल रही हो तो अपने साथी प्रतिभागियों को ध्यान से सुनें। अपनी बारी आने पर पात्र का संवाद इस तरीके से बोलें मानो उसे आपने आत्मसात कर लिया है।
- इसके आखिर में सक्सेस मंत्र क्या है यह जान लेते हैंः प्रेक्टिस, प्रेक्टिस, प्रेक्टिस यानि निरंतर अभ्यास ही सफलता की कुंजी है।
इस लेख के बारे में अपनी टिप्पणी लिखें