कविताः किताबों में झलक है जीवन की
प्रतिबिंब हैं किताबें तेरे-मेरे जीवन की
कभी कहानी के जरिये झलकती
तो कभी कविता में हैं छलकती
घुमातीं ये सारा संसार
बताती दुनिया का ये सार
बुनती रोज़ नये किरदार
पढ़ उन्हें हम भी बनते जिम्मेदार।
अलग-अलग रूप हैं
अलग-अलग रंग हैं
हर एक किताब के अपने-अपने ढंग हैं
एक सच्चे दोस्त की तरह रहती ये संग हैं
किताबों के बहुत हैं ठौर-ठिकाने
मिलती हैं बाज़ार में इनकी दुकानें
घर और दफ़्तर में सजते इनसे कोने।
और यदि बस जाएं दिल में
तो मिलती हैं माँ के प्यार में
मिलती हैं पिता के दुलार में
मिलती हैं हमारी आदतों में
किसी के श्रृंगार में तो किसी के आंसुओं में
और नन्ही सी मुस्कान में।
किताबों में न जाने कौन सा जादू है
जो करती मुझे इतना आकर्षित हैं
सजाती हूँ मैं अपने सपने इनसे
देखती हूँ अपनी परछाई इनमें
क्योंकि ये प्रेरणा हैं मेरे कल की
किताबें झलक हैं मेरे जीवन की।
कविताः ‘किताबें करती हैं बातें’ -शफ़दर हाशमी
पढ़ेंः गुलज़ार की कविता ‘किताबें’
(लेखिका परिचय – स्वाति वर्तमान में दिल्ली के एक सरकारी स्कूल में टी.जी.टी के पद पर कार्यरत हैं। आपने इंग्लिश से एमए, बीएड और दिल्ली विश्वविद्यालय से एम. फिल. की शिक्षा एजुकेशन विषय में पूर्ण की। आपके शोध के मुख्य केंद्र किशोरावस्था एवं शैक्षणिक मनोविज्ञान है। वर्तमान में इग्नू से एमए एजुकेशन कर रही हैं।)
(शिक्षा से संबंधित लेख, विश्लेषण और समसामयिक चर्चा के लिए आप एजुकेशन मिरर को फ़ेसबुक और ट्विटर पर फ़ॉलो कर सकते हैं। एजुकेशन मिरर के यूट्यूब चैनल को सब्सक्राइब करने के लिए यहां क्लिक करें। अपनी स्टोरी/लेख भेजें Whatsapp: 9076578600 पर, Email: educationmirrors@gmail.com पर।)
बहुत ही सुंदर वर्णन 👌👌👌👌👌
मेरे गहन एकांत में ,आत्मीय प्रिय है किताबें।
मेरे अकेलेपन की साथी हैं किताबें।
हर वक्त साथ रहे माँ के आशीष की भांति।
मेरे प्रश्नों के उत्तर देकर अंतर्मन की प्यास बुझाती।
जब -जब मुख मंडल पर उदासी छा जाती ।
तब -तब किताबे तुम अपनी कलात्मक रंगत से मुस्कान लाती।
राहोँ के अंधेरे में जब खो जाती।
दीपक की भांति जलकर तुम रोशनी कर आती।
और मुझे …..
दमकाती है सूरज सा किताबें।
महकाती है फूलों सा किताबें।
सिखलाती हैं प्रेम भाषा किताबें।
देती हैं मानव ज्ञान किताबें।
बताती हैं अर्थ अच्छे बुरे का किताबें।
सिखाती हैं सद्भावना और एकता किताबें।
अद्भुत ज्ञान का भंडार हैं किताबें।
उन्नति का आधार हैं किताबें।
किसी ने लिखा लेख ,कविता और आलेख ,
तो किसी ने लिख डाली हैं किताबें।
मैं अंतिम क्षणों की इच्छा बन कर ,स्वयं बन जाऊं किताबें।