‘कोविड-19: सीखने के अवसरों में अंतर को समझने वाले अभिभावक स्कूल खोलने के पक्ष में’

सीखने के अवसरों में अंतर को समझने वाले अभिभावक स्कूल खोलने के पक्ष में हैं।
पिछले 16 माह से स्कूल बंद होने के कारण बच्चों के सीखने के अवसरों में अंतर बढ़ा है और जितने दिन स्कूल बंद रहेंगे यह अंतर बढ़ता ही जाना है।
ऑनलाइन शिक्षण के रूप में बच्चों को पठन सामग्री, वीडियो, ऑडियो वर्क शीट सक्रिय शिक्षकों द्वारा दी जा रही है। परंतु अत्यधिक गरीब पृष्ठभूमि से आने वाले अपवंचित वर्ग के बच्चों के घरों में ऑनलाइन शिक्षण के लिए जरुरी फोन ही नहीं है।
यदि किसी परिवार में फोन है भी तो यह काम करने वाले माता पिता के पास रहता है। उनको इसकी जरूरत भी है। फिर दूसरा यह कि ऑनलाइन शिक्षण के क्रम में डेटा डाउन लोड करने के लिए अधिक राशि के रिचार्ज पैक की जरूरत होती है।
सीखने के अवसरों में अंतर को समझ रहे हैं अभिभावक
गरीब परिवारों के लिए इसे अफोर्ड कर पाना मुश्किल है। तीसरा अति दूरस्थ दुर्गम क्षेत्रों में नेटवर्क कनेक्टिविटी की समस्या मौजूद है।यह सब मिलकर ऐसे बच्चों के सीखने के अवसरों में अंतर को बढ़ा रहा है।
अभिभावकों से बातचीत में एक आश्चर्यजनक तथ्य सामने आया, वह यह कि अभिभावक अवसरों के अंतर को भली भांति समझ रहे हैं। अतः COVID संक्रमण के खतरे के बावजूद वे विद्यालय खुलने के पक्ष में हैं और अपने बच्चों को विद्यालय भेजना चाहते हैं।
यदि बच्चों की सुरक्षा की दृष्टि से आगे कुछ समय तक विद्यालय न खोलने का निर्णय सरकारों द्वारा लिया जाता है और यह जरूरी भी है तो ऐसी स्थिति में इन बच्चों के सीखने के अवसरों के अंतरों को दूर करने के लिए कुछ ठोस कदम उठाने जरूरी हैं।
( डॉ0 केवल आनन्द काण्डपाल वर्तमान में उत्तराखंड के बागेश्वर जनपद में रा0 उ0 मा0 वि0 पुड्कुनी (कपकोट) में प्रधानाचार्य के रूप में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। शिक्षा के क्षेत्र में अध्ययन, शोध व अध्यापन में सक्रियता से काम कर रहे हैं। इस लेख के बारे में आप अपनी राय टिप्पणी लिखकर या फिर Email: kandpal_kn@rediffmail.com के माध्यम से सीधे लेखक तक पहुंचा सकते हैं। इस पोस्ट को पढ़ने के बाद अपनी प्रतिक्रिया जरूर साझा करें।)
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