उपासना: ‘बाल साहित्यकार एनिड ब्लाइटन का सफ़रनामा’
बाल साहित्य और कहानी लेखन के क्षेत्र में सतत सक्रिय उपासना एक लेखिका को उनके जन्मदिन पर याद करते हुए लिखती हैं, “कहते हैं कि लेखक को उसके लेखन से ही जानना चाहिए। बाज़दफे पर ऐसा भी होता है कि लेखन और लेखक का जीवन आपस में इतना घुले-मिले होते हैं कि लेखक के जीवन को जानना, उसकी लेखकीय यात्रा से रु-ब-रु होना भी किसी रोचक कहानी सरीखा आकर्षक होता है। उसने जो जिया, भोगा, लेखन के निमित्त खाद-पानी बनी परिस्थितियाँ… सब!”
एनिड ब्लाइटन का लेखकीय जीवन भी उनकी कहानियों और उपन्यासों सरीखा दिलचस्प रहा। 11 अगस्त 1897 के दिन लंदन में जन्मी एनिड ब्लाइटन ने कम उम्र में ही लेखक बनने का फैसला कर लिया था। पर इस फैसले तक आने की राह में भटकाव भी रहा। एक लेखक को अपने भीतर के लेखक तक पहुँचने के लिए भटकना ही पड़ता है… और सच कहा जाए तो ये भटकाव भी कहाँ हैं? ये तो पड़ाव हैं।
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बच्चों के लिए लेखन की तैयारी
यद्यपि ये लेखन तक पूर्णतः आने के पूर्व उठा-पटक भी, तथापि एनिड मन ही मन या तो पक्का कर ही चुकी थीं कि उन्हें बच्चों के लिए लिखना है। संभवतः यही कारण रहा कि उनहने जब जो भी पेशा चुना वह बच्चों के आसपास ही रहा। चाहे वह प्ले स्कूल चलाना हो, शिक्षण का कार्य हो, या गवर्नेंस की नौकरी। उन्होने एक शिक्षक के रूप में प्रशिक्षण लिया। इससे उसे उन बच्चों का निकट संपर्क सहज ही उपलब्ध हो गया, जिनके लिए उसने तय किया था कि लिखना है। उसके भावी पाठक। इस प्रकार एनिड ने यह सुनिश्चित किया कि वह बच्चों का अध्ययन करने तथा उनके हितों को समझने में सक्षम हो पाए। यह उनकी अपने लेखन के प्रति निष्ठा थी। भावी लेखन की तैयारियां। उन्होने सहज रूप से की।
उनके जीवन पर सबसे अधिक प्रभाव उनके बचपन और पिता का रहा। पिता अपने शुरुआती दिनों में कटलरी विक्रेता थे। बाद में उन्होने कपड़ों के होलसेल बिक्री का कारोबार बढ़ाया। व्यापारी होनते भी एनिड के पिता थॉमस ब्लाइटन का हृदय सही मायनों में कवि का हृदय था। पिता-पुत्री में घनिष्ठ संबंध था। उनमें आश्चर्यजनक समानताएं थीं। दोनों के बाल काले थे। पिता ने नन्ही एनिड को प्रकृति, कला, साहित्य को सही मायनों में महसूस करने तथा आत्मसात करने में दीक्षित किया। शुरुआत का यह जीवन एक प्रकार से उनके पिता ने ही सँवारा था।
अपनी आत्मकथा ‘The Story of my life (1952)’ में एनिड लिखती हैं “… मेरे पिता ग्रामीण इलाकों से प्यार करते थे। वे फूलों, पक्षियों और जंगली जानवरों से प्यार करते थे और मैं जितने लोगों से कभी मिली थी उनमें वे बारे में किसी से भी ज्यादा जानते थे। यह मेरे लिए काफी था कि वे मुझे अपने अभियानों पर अपने साथ ले जाने, अपने प्रेम और ज्ञान को मेरे साथ साझा करने के लिए तैयार थे! यह मेरे लिए अद्भुत था। यह प्रकृति के बारे में सीखने का सबसे अच्छा तरीका है यदि आप किसी ऐसे व्यक्ति के साथ घूमने जा सकते हैं जो वास्तव में इन्हें समझता है…”
लेखक बनने के लिए शुरुआती संघर्ष
एनिड के लेखन का शुरुआती समय अस्वीकृतियों का दौर था। पिता जो एनिड का सबसे मजबूत भावनात्मक संबल थे, घर छोड़कर अन्य महिला के साथ चले गए। माँ कभी भी एनिड के प्रति सहिष्णु नहीं रही। वे एक घरेलू चिड़चिड़ी महिला थीं। उन्हें इस बात से खीज व हैरानी होती कि पिता एनिड को प्रकृति प्रेम, टहलने, पढ़ने व अन्य शौक के लिए इतना प्रेरित क्यों करते हैं। जबकि एनिड को उनके घरेलू कार्यों में मदद करनी चाहिए। एनिड का लेखन जो तब तक प्रकाशकों से सैकड़ों बार अस्वीकृत हो चुका था, माँ उसे महज वक्त और धन की बरबादी मानती थी। ऐसी पारिवारिक अशांति में एनिड धीरे-धीरे परिवार से विमुख होती गयी। वह माँ से नज़रें नहीं मिलाती थी।
अपने सर्वाधिक प्रिय काम लेखन में उसने खुद को पूरी तरह डुबो दिया। लेखक-प्रकाशन की दृष्टि से 1930-40 का दशक एनिड के लिए बहुत उर्वर रहा। 1926 में उन्होने Sunny Stories नामक पत्रिका की शुरुआत की। उनकी पहली किताब चाइल्ड व्हिसपर्स, 24 पृष्ठ का कविता संग्रह 1922 में प्रकाशित हुआ। कहा जाता है कि एनिड ब्लाइटन का पहला पूर्ण लंबाई वाला उपन्यास ‘द एनिड ब्लाइटन बुक ऑफ बन्नीस’ 1925 में प्रकाशित हुआ था। बाद में जिसका नाम बदलकर ‘द एडवेंचर्स ऑफ बिंकल एंड फ्लिक’ शीर्षक दिया गया।
फेमस फ़ाइव और अन्य किताबें
एनिड की प्रसिद्ध कथा-शृंखलाएँ नोडी, फेमस फ़ाइव इत्यादि रहीं। उन्होने तकरीबन अनियोजित, अनायास ढंग से लिखा। वे कहती हैं यह उनके दिमाग में है। उनके विचारों में। शुरुआत से अंत तक की कहानी। लिखने से पहले कुछ नहीं होता। एनिड के शब्दों में – ‘मेरे सिर के अंदर एक निजी सिनेमा स्क्रीन है। जो मैं देखती हूँ, वो लिखती हूँ। एनिड ने विशद लेखन किया। 700 से अधिक किताबें एनिड के नाम हैं।
वर्ष 1942 में जब विश्व भर में किताबों की छपाई लगभग बंद थी, उस वर्ष एनिड ब्लाइटन की 11 किताबें एक साथ आयीं। विपुल लिखने के कारण उनकी गुणवत्ता पर सवाल भी उठे, यह स्वाभाविक ही था। यदि प्रतिदिन 10000 से अधिक शब्द लिखे जा रहे हैं, वहाँ उच्च कोटि गुणवत्ता की उम्मीद ही बेमानी है। स्वयं एनिड के प्रकाशकों के अनुसार ये कहानियाँ औसत और पुराने ढंग की हैं। उनके विपुल लेखन पर अफवाह भी उड़ी कि ब्लाइटन ने घोस्ट राइटर्स की एक सेना नियुक्त की है। सारी बातों के बावजूद यह सत्य है कि अपने वक्त में एनिड को खूब-खूब पढ़ा गया।
आज भी विश्व में सर्वाधिक बिकने वाले लेखकों में एक नाम एनिड ब्लाइटन का है। लेकिन यह कहना होगा कि खूब पढ़े जाने, बिकने के बावजूद एनिड ने कुछ नया खड़ा नहीं किया। कई बार वे पुरानी अस्वीकार्य चीजों को साथ लेकर चलती हैं। फेमस फाइव एंड ट्रेजरर आइलैंड में जॉर्जिना एक चरित्र है। जॉर्जिना को लड़की होने से चिढ़ है। वह जॉर्ज कहलाना पसंद करती है। इस चरित्र ने जो अवधारणा बनाई है, एनिड कहीं भी उसे तोड़ती नहीं हैं। जॉर्ज जैसी साहसी जिद्दी लड़की, लड़का कहलाना चाहती है क्योंकि वह लड़कियों जैसे काम नहीं करती।
यह लिखते हुए एनिड क्या भूल गईं कि वे कितनी आसानी से लड़कियों और लड़कों के काम बाँट रही हैं। लड़कियों के वही काम जिनसे उनके पिता ने उन्हें बचाया “मैं जॉर्ज हूँ। तुम मुझे जॉर्जिना कहकर बुलाओगे तो मैं जवाब नहीं दूँगी। मैं लड़कियों की तरह नहीं दिखना चाहती। मैं लड़कियों जैसे काम नहीं करना चाहती। मैं लड़कों वाले काम करना पसंद करती हूँ। मैं लड़कों से ज्यादा अच्छी तरह पहाड़ चढ़ सकती हूँ। उनसे ज्यादा तेज तैर सकती हूँ।“ जॉर्जिना जो फेमस फ़ाइव सीरीज की सबसे मजबूत और दिलचस्प किरदार है, एनिड उसे लड़का बनाने पर तुली हैं… क्यों?”
एनिड के लेखन का आलोचनात्मक विश्लेषण
इसी तरह हैरी पॉटर सीरीज पढ़ते हुए मुझे हमेशा यह लगा कि इस सीरीज का नाम हैरी पॉटर नहीं हरमायानी ग्रेंजर होना चाहिए। एक मगलू बच्ची जो शुद्ध रक्त की नहीं है। अब चलिए यह न कहिएगा कि हम रक्त की शुद्धता पर विश्वास करने वाले जड़ समाज की पैदाइश नहीं हैं। वर्ण संकर इसी समाज की अवधारणा है। ऐसे में मगलू हरमायनी, जो होनहार प्रतिभावान है। जो बेवजह के रोमांच ढूँढने की बजाय , ठोस चीजों में विश्वास करती है। सबसे बड़ी बात कि वह हैरी की तरह गिफ़्टेड नहीं है। लेकिन हैरी को अक्सर मुसीबतों से उसने उबारा है। पर… पर हरमायानी अपने लड़की होने के साथ उतनी ही सहज है, जितना हैरी पॉटर अपने लड़का होने से।
सीक्रेट सेवेन की सीरीज़ ‘सीक्रेट सेवेन एडवेंचर’ में एनिड लिखती हैं – “अब वे सचमुच खूंखार रेड इंडियन दिख रहे थे।“ यह सरासर नस्लवादी टिप्पणी है। ऐसे उद्धरणों से एनिड का लेखन भरा पड़ा है। जहां उनसे घनघोर असहमति होती है। 1950 के दशक में इन्हीं कारणों से कई लाइब्रेरियों से एनिड की किताबें हटा ली गईं। कहा गया कि नोडी जैसा पात्र बच्चों में हीन भावना भर देगा।
एनिड को पढ़ते हुए हम दूसरी दुनिया में चले जाते हैं। बेशक वह दुनिया तर्कातीत है। है और नहीं है के बीच अटकी। परिकथाओं की दुनिया जैसी एनिड ब्लाइटेन की दुनिया में हर छुट्टी उनके लिए रोमांच लेकर आती है। वे स्वस्थ, उजले , खुश और संपन्न बच्चे हैं। जिनका संघर्ष सिर्फ रोमांच की खोज तक है। लेकिन फंतासी को पलायन कहकर खारिज कर देना, आखिर कहाँ तक उचित है।
तब जब वह कठिन, असहनीय परिस्थितियों में मन मस्तिष्क को कुछ वक्त की विश्रांति देती है। सामान्य होने का एहसास कराएं। एनिड की सर्वाधिक सफल सीरीज़ प्रकाशित होने का समय वह है जब दुनिया लगातार छः वर्षों तक दूसरे महायुद्ध से जूझती रही थी। यह और बात है कि इस युद्ध की त्रासदी उनके इस दौर की किताबों में कहीं नहीं है।
एनिड ने देखी हुई जगहों को अपने नन्हें पाठकों के समक्ष बिलकुल अद्भुत और नए रूप में प्रस्तुत किया। 1940-41 की गर्मियों में एनिड ने पहली बार Purlock (England) में Corfe castle देखा वह द्वीप तथा महल एनिड को खूब भाया। उन्होने फेमस फाइव में इन्हें किरिन टापू तथा खण्ढर महल के नाम से चित्रित किया। इसका एक अंश, “जॉर्ज ने गुस्से से कहा। वह टापू अजीब नहीं है। वह बहुत प्यारा टापू है। वहाँ पर पालतू खरगोश हैं और दूसरी तरफ बड़े जल कौए बैठते हैं। और वहाँ पर समुद्री पक्षी भी आते हैं। महल भी बहुत अच्छा है। हालाँकि अब वह खण्डर जैसा दिखता है। एन को भी वह टापू बहुत पसंद आया। क्योंकि वह असली टापू जैसा दिखता है। ब्रिटेन भी तो टापू है। लेकिन वह इतना बड़ा है कि कोई भी समझ नहीं सकता कि वह टापू है जब तक कि उसे बताया नहीं जाय।”
उदास दौर में भी बच्चों के लिए उम्मीद भरा लेखन
फेमस फाइव सीरीज एनिड ब्लाइटन की कोर्फ यात्रा के ठीक एक साल बाद छपा। इसी प्रकार 30 अक्तूबर में मदीरा तथा केनरी द्वीप के लिए एक क्रूस पर गईं। जिसका विवरण एनिड के दिमाग में स्पष्ट रूप से बना रहा। वर्षों बाद लिखी गयी किताबों जैसे द पोल स्टार फैमिली और द शिप ऑफ एडवेंचर में वे विवरण जीवंत ढंग से आए। 1942 जो कि महायुद्ध का वक्त था, बहुत संभव है कि डोर्सेट के कई तटों को कांटेदार तार और टैंक जाल के साथ बंद कर दिया गया होगा। लेकिन एनिड ब्लाइटन इस वक्त थी कहाँ? न वे थीं, न वे अपने पाठकों को ऐसे समय में तन्हा, निराश छोड़ सकती थीं। उन्होने ने समय का व्यतिक्रम रचा। एक ऐसी खुशनुमा फैटेसी जो अंधेरे कमरों में ताजी हवा के रोशनदान सरीखी हों। वे नन्हें पाठक जो अकेले थे, उदास थे। जिन्हें अपना शहर छोड़ना पड़ा था। फैन्टेसी के साथ इन कहानियों में रिश्ते हैं, भावनाएं भी हैं।
“जूलियन को देखते हुए जॉर्ज ने मन ही मन सोचा। दूसरे लोगों से बातें करने से मुश्किलें कम भयानक दिखती हैं। किसी के साथ होने से दुख-दर्द बंट जाता है और रास्ते भी आसान हो जाते हैं।“ एनिड ब्लाटन की कहानियाँ ऐसी ही साथी बनी बच्चों की। एनिड की कहानियों में पकवानों का इतना सुंदर वर्णन है मानों ये आँखों के सामने तैर रही हों। “काली किशमिश के जैम का ध्यान आया जो हमारे पास था। यह काली किशमिश की चाय है। हमने उस जैम में उबलता पानी और शक्कर मिलाकर बनाया है।“ फिर चाहे चॉकलेट केक हों। चाशनी का भूरा केक। मुरब्बा लगे बिस्किट या ठंडा हैम। यह परिचित स्वाद भी कितने अपने लगते हैं।
एनिड का फलसफा बड़ा साफ था, “मुझे नहीं पता कि कोई क्या कहेगा या क्या करेगा। मुझे नहीं पता कि क्या होने वाला है। मैं एक कहानी लिखने और इसे पहली बार उसी क्षण में पढ़ सकने में सक्षम होने की सुखद स्थिति में हूं।“
(परिचयः समकालीन कथा साहित्य में उपासना कहानी लेखन के क्षेत्र में अपना सक्रिय योगदान दे रही हैं। आपको भारतीय ज्ञानपीठ का नवलेखन पुरस्कार भी मिला है। आपका लिखा एक कहानी संग्रह और एक बाल-उपन्यास ‘डेस्क पर लिखे नाम’ प्रकाशित हो चुके हैं। आपकी तरफ से बच्चों के लिए लेखन का सिलसिला विभिन्न पत्रिकाओं के माध्यम से निरंतर जारी है। )
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