उत्तर प्रदेश में ‘स्कूल रेडिनेस’ कार्यक्रम के फ़ायदे क्या हैं?

प्रिंट समृद्ध वातावरण का बच्चों के भाषा विकास पर सकारात्मक असर पड़ता है।
भारत में प्राथमिक शिक्षा को बेहतर बनाने के लिए नीतिगत स्तर पर प्रयासों की एक लंबी शृंखला है। इस संदर्भ में राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के अंतर्गत सीखने के संकट को रेखांकित किया गया। सीखने के संकट को कोविड-19 के कारण उपजे हालात ने सघन बनाया है। इसको ध्यान में रखते हुए समुदाय के सहयोग के साथ-साथ शिक्षकों के प्रोफ़ेशनल डेवेलपमेंट (टीपीडी) पर ध्यान देने की आवश्यकता है। ताकि कक्षा-कक्ष में शिक्षण के लिए कांप्रिहेंसिव लिट्रेसी अप्रोच का सफल क्रियान्वयन करने के साथ-साथ बुनियादी संख्या ज्ञान की स्थिति को भी मजबूत बनाने की जरूरत है। इस बात के बहुसंख्य उदाहरण हैं कि अगर शिक्षक प्रयास करें और उनको सही रणनीति के साथ काम करने का अवसर मिले तो सफलता हासिल करने की पूर्व-शर्त पूरी हो जाती है।
स्कूल रेडिनेस कार्यक्रम का मिला फ़ायदा
उत्तर प्रदेश में स्कूल रेडिनेस कार्यक्रम के अंतर्गत शिक्षकों के प्रयासों ने रणनीति के ज़मीनी स्तर पर क्रियान्वयन की रणनीति को सफल बनाने में बेहद अहम योगदान दिया है। पहली कक्षा के बच्चों की मजबूत बुनियाद बनी है और बच्चे सीखने के लिए अच्छी तैयारी के साथ कक्षा-कक्ष की विभिन्न गतिविधियों में सक्रियता के साथ प्रतिभाग कर रहे हैं। इसके लिए शिक्षकों को जिस तरह का सहयोग और संसाधनों की उपलब्धता बेसिक शिक्षा विभाग की तरफ से मुहैया कराई गई, उसने इस काम को गति देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। नियमित अंतराल पर स्पष्ट दिशा निर्देशों के साथ मिलने वाली ऑनलाइन सामग्री ने भी शिक्षकों को अपना काम करने में सहयोग दिया है। इससे कम संसाधनों में बड़े स्तर पर एक निर्धारित रणनीति के साथ काम करने की भावी संभावनाओं को बल मिला है। एक बात यहाँ रेखांकित करने योग्य है कि छोटे बच्चों के लिए डिजिटल संसाधनों के साथ-साथ भौतिक पठन-लेखन सामग्री की भी जरूरत है।
प्वाइंट टीचर बनाने की रणनीति है सफल
किसी विषय का ‘प्वाइंट टीचर’ बनाने वाली रणनीति और जिम्मेदारी तय करना पूरी प्रक्रिया को एक सुगमता प्रदान करता है। इससे संचार की स्पष्टता भी बनी रहती है और विद्यालय के सभी शिक्षकों को पता होता है कि किसकी क्या जिम्मेदारी है और इसके अनुसार शिक्षकों को विद्यालय स्तर पर अनुकूल सहयोग मिलना भी संभव हुआ है। कुछ प्रधानाध्यापकों ने अपने शिक्षकों को इस काम के लिए पूरी आज़ादी दी और उनके लिए जरूरी संसाधन मुहैया कराये। शिक्षकों पर भरोसा करने, उनकी क्षमता वर्धन करने और निर्धारित जिम्मेदारी पर काम करने का अवसर देने के दीर्घकालिक लाभ मिलेंगे,यह बात पहली कक्षा से बच्चों से संवाद के दौरान स्पष्ट होती है।
शिक्षकों का बच्चों के साथ जुड़ाव बेहतर हुआ
बच्चे संवाद करने में सहज हैं। कक्षा में दिये जा रहे निर्देशों को स्पष्टता के साथ समझ पा रहे हैं। विभिन्न गतिविधियों में सक्रियता से प्रतिभाग करते हैं। इसका एक प्रमुख कारण बच्चों के साथ होने वाले काम की निरंतरता और शिक्षकों के साथ उनके जुड़ाव को जाता है जो शिक्षक व विद्यार्थी के बीच पठन-पाठन की प्रक्रिया में स्वाभाविक रूप से विकसित होता है। यह जुड़ाव शिक्षकों के साथ बातचीत में अभिव्यक्ति पाता है जब वे अपने बच्चों की सफलताओं के बारे में चर्चा करते हैं और बताते हैं कि बच्चों के क्या-क्या सीख लिया है और किन-किन चीज़ों को सीखने की दिशा में अग्रसर हो रहे हैं। कहानियों, कविताओं, ध्वनि जागरूकता, वर्ण पहचान और वर्णों को मिलाकर शब्द बनाने वाली गतिविधि बच्चे सहजता के साथ कर रहे हैं। अंकों की पहचान और जोड़ की बुनायादी संक्रियाओं को लेकर भी एक स्पष्टता बनी है। बड़े स्तर पर वास्तविक स्थिति असेसमेंट के बाद सामने आ सकती है, लेकिन उदाहरण के तौर पर जो स्थिति ज़मीन पर दिख रही है वह काबिल-ए-ग़ौर है।
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