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धरती पर पहले अण्डा आया, फिर मुर्गी आयी ?

धरती पर पहले अण्डा आया, फिर मुर्गी आयी ???बाल सुलभ जिज्ञासाओं का बच्चों के संज्ञानात्मक विकास में महत्वपूर्ण योगदान होता है। शिक्षक और छात्रों के बीच ऐसी बातचीत होनी चाहिए। ताकि शिक्षा को संवाद के माध्यम से  जीवन, परिवेश और पाठ्यक्रम से जोड़ा जा सके।

इसके साथ ही हमें बच्चों को स्वतंत्र रूप से सोचने और अपने सवालों का जवाब खोजने के लिए प्रेरित करना चाहिए। एक ऐसी ही कक्षा में एक दार्शनिक सवाल से बात कहां तक जाती है, आप ख़ुद पढ़िए इस पोस्ट में।

धरती पर पहले कौन आया?

बच्चों के मन के विचार यथार्थ के करीब होते हैं और उनके कल्पनाओं की उड़ान रोजमर्रा के जीवन के अनुभवों का अतिक्रमण भी करती है। कक्षा सातवीं की एक छात्रा ने अपनी कक्षा में मौजूद शिक्षक सहयोगी से पूछा कि धरती पर पहले मुर्गी आयी या अण्डा आया ? तो उन्होंने यह सवाल कक्षा के बच्चों के बीच ज्यों का त्यों रख दिया। ताकि वे खुलकर अपने विचारों को व्यक्त कर सकें।

इस विषय पर सभी बच्चों ने लिखने का फ़ैसला किया। एक बच्चे ने अपनी कॉपी में लिखा कि सबसे पहले एक मुर्गी अण्डा देती है। उस अण्डे से मुर्गा या मुर्गी निकलती है। इसके साथ उसने अण्डा देते हुए, एक मुर्गी का चित्र बनाया और शीर्षक दिया मुर्गी अण्डा दे रही है। इस छोटे पर्चे को पढ़ना खुशी से भरने वाला है। इस बच्चे की अभिव्यक्ति में सहजता, संक्षेपण और सटीक होने का भाव साफ़ जाहिर होता है।

अण्डे से निकलते हैं बच्चे

अन्य बच्चों ने लिखा कि मुर्गा-मुर्गी मिलकर अण्डा देते हैं, जिससे बच्चे निकलते हैं। अपने अनुभवों को लिखते हुए, हम बड़े भी अटकते हैं। लेकिन बच्चों के लिए मन के विचारों को व्यक्त करना खेल सरीखा है। एक बच्चे ने लिखा कि पहले अण्डा आया, फिर मुर्गी आयी। मुर्गी ही सबसे पहले अण्डा देती है। यानी सवाल की तरह जवाब भी गड्ड-मड्ड कि कौन जाने कि पहले मुर्गी आयी या फिर अण्डा आया?

एक बच्चे ने अण्डे के परिपक्व होने की प्रक्रिया के बारे में लिखा कि मुर्गी पहले अण्डा देती है। शुरुआत में यह अण्डा कच्चा होता है। कई दिनों में अण्डा पकता है। इसके बाद अण्डे से बच्चा निकलता है। अगर इसे मुर्गी के अण्डा सेने के संदर्भ से जोड़ दिया जाय तो बात पूरी हो जाती है। जिसका जिक्र अगले बच्चे के पर्चे में मिलता है कि मुर्गी एक दिन में एक अण्डा देती है। मुर्गी रोज अण्डों के ऊपर बैठती है। फिर पंद्रह-सोलह दिन में बच्चे पैदा करती है।

‘ये मेरे अनुभव हैं’

कक्षा के दौरान एक बच्ची ने सवाल किया कि धरती पर पहले कौन आया? अण्डा या मुर्गी। कक्षा के सभी बच्चों ने इस सवाल के अपने-अपने जवाब लिखे।

इसके साथ-साथ बच्चे मुर्गी की बच्चों की सुरक्षा करने वाले भाव को भी अपनी लेखनी में स्थान देते हैं। एक बच्चे ने लिखा कि मुर्गी छोटे बच्चों की बिल्ली आदि जानवरों से बचाव करती है। इसके अलावा बच्चों ने लिखा कि मुर्गा-मुर्गी पति-पत्नी की तरह से हैं। इसके जिक्र के साथ वे मुर्गी और मुर्गी के रिश्तों की समाज के रिश्तों से रोचक तुलना कर रहे होते हैं। सामाजिक भूमिकाओं से मिले अर्थ को आसपास के जीवों की दुनिया पर प्रत्यारोपित कर रहे होते हैं।

कुछ बच्चों ने रोचक अंदाज में सारी प्रक्रिया को शब्द देते हुए लिखा कि सबसे पहले मुर्गी के पेट से अनेक अण्डे निकलते हैं। इसमें से कुछ तो बिगड़ जाते हैं। लेकिन बाकी बचे हुए अण्डों को मुर्गी सेती है और कुछ दिनो बाद मुर्गी इनको फोड़ती है। इत तरह से अण्डों से मुर्गी के बच्चे निकलते हैं। बाकी बच्चों के जवाब भी बेहद रोचक हैं।

एक बच्चे ने पूरे घटनाक्रम का सारांश लिखा, “सबसे पहले मुर्गी और मुर्गा आए। दोनों ने मिलकर अण्डा दिया। दोनों अण्डे पर बैठे। उसको फोड़ा। उससे मुर्गी निकली। मुर्गा और मुर्गी ने मिलकर फिर अण्डा दिया। ऐसे करके उनका परिवार बड़ा हो गया होगा। मेरे दोस्त के घर पर मुर्गियां हैं। मैने वहां देखा है। ये मेरे अनुभव हैं।”

‘मेरी समझ में कुछ नहीं आ रहा है’

जिस बच्ची ने सवाल पूछा था, उसने अपनी कॉपी में लिखा कि मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा है। मैं नहीं जानती कि पहले धरती पर मुर्गी आयी या फिर अण्डा आया। कह सकते हैं कि इतनी बातचीत और माथापच्ची के बाद भी सवाल ज्यों का त्यों बरकरार है। लेकिन बच्चों ने अपने जीवन के अनुभवों के आधार पर सवाल का जवाब देने का सुंदर प्रयास किया। उनकी जिज्ञासा, आत्मविश्वास और मौलिकता से हमें भी सीखने और चीज़ों को अलग नज़रिए के साथ देखने की प्रेरणा मिलती है।

6 Comments on धरती पर पहले अण्डा आया, फिर मुर्गी आयी ?

  1. Anonymous // January 16, 2013 at 1:36 pm //

    waa virjesh, behtatarin likha hai… padhkar kaaphi maja aaya.. vahi saare anubhav likhe hai jise maine khud anubhav kiye hai… aur mai soch rahi hu ki use mai school ke unhi bacchonko tumhara likha hua lekh padhvau.

  2. Anonymous // January 16, 2013 at 1:36 pm //

    waa virjesh, behtatarin likha hai… padhkar kaaphi maja aaya.. vahi saare anubhav likhe hai jise maine khud anubhav kiye hai… aur mai soch rahi hu ki use mai school ke unhi bacchonko tumhara likha hua lekh padhvau.

  3. इसका श्रेय तो सातवीं कक्षा के बच्चों को जाता है। जिन्होनें बेहतरीन तरीके से अपने मन की बातों को शब्दों में अभिव्यक्ति देने की कोशिश की है। उसके साथ-साथ उन मित्र को भी जिन्होनें उनसे रोचक संवाद किया। मैं तो बातों को रखने का माध्यम भर हूं। शुक्रिया।

  4. इसका श्रेय तो सातवीं कक्षा के बच्चों को जाता है। जिन्होनें बेहतरीन तरीके से अपने मन की बातों को शब्दों में अभिव्यक्ति देने की कोशिश की है। उसके साथ-साथ उन मित्र को भी जिन्होनें उनसे रोचक संवाद किया। मैं तो बातों को रखने का माध्यम भर हूं। शुक्रिया।

  5. Nice thinking dear…

  6. Nice thinking dear…

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