हम वर्णमाला क्यों पढ़ाते हैं?

भाषा शिक्षण के लिए दीवारों पर बना एक चित्र।
इस सवाल का सबसे आसान सा जवाब है कि हम चाहते हैं कि बच्चों में डिकोडिंग की क्षमता विकसित हो, इसलिए वर्णमाला सिखाते हैं। यहां डिकोडिंग का मतलब है कि बच्चा किसी वर्ण की आकृति और उसकी ध्वनि के बीच संबंध स्थापित कर पाए। यानि क को बच्चा क बोले और उसे लिख भी पाए।
आमतौर पर वर्णमाला की पुख्ता पहचान के बाद मात्राओं के शिक्षण के लिए बारहखड़ी का उपयोग किया जाता है।
हिंदी शिक्षण की वास्तविक स्थिति क्या है?
आज के दौर में बहुत से अभिभावक बच्चों को स्कूल जाने से पहले ही वर्णमाला की पहचान कराने लगते हैं। उनके ध्यान में ऐसी कोई बात नहीं होती कि इससे फ़ायदा और नुकसान क्या है? भाषा शिक्षण के वैज्ञानिक तरीके क्या हैं? भाषायी क्षमता विकसित होने के विभिन्न चरण क्या हैं? बच्चों के लिए किसी वर्ण की आकृति और उसकी आवाज़ से परिचित होना इतना जरूरी क्यों है? इस तरह की प्रक्रिया में कई बार बच्चों की पिटाई भी होती है। उनके ऊपर अभिभावकों का गुस्सा भी निकलता है। इसी तरह की कवायद स्कूल के शुरूआती दिनों में नज़र आती है, जब बच्चे प्री-स्कूल और पहली-दूसरी क्लास में पढ़ाई कर रहे होते हैं।
हर वर्ण बच्चे के लिए एक तस्वीर है

सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे अपना लिखा हुआ दिखाते हुए।
किसी भी बच्चे के लिए वर्ण का अपने आप में कोई अर्थ नहीं होता है। वह उनके लिए एक तस्वीर मात्र होते हैं। इस तस्वीर की एक आवाज़ होती है, जिसे वर्ण की ध्वनि कहते हैं। ऐसे में वर्ण ज्ञान या वर्णमाला पढ़ाने की तैयारी से पहले बच्चों को बहुत सारा मौका देना चाहिए ताकि वे चीज़ों को देखें और उनके ऊपर होने वाली चर्चा में हिस्सा लें।
यानि हमारी प्राथमिकता में मौखिक भाषा का विकास सबसे पहले होना चाहिए। इसके बाद बच्चों को चित्र बनाने या रेखाओं के साथ खेलने वाले खेल में हिस्सा लेने का मौका देना चाहिए ताकि वे लिखने के लिए पूर्व तैयारी कर सकें। इसके लिए बच्चों की उम्र कम से कम साढ़े चार या पाँच साल होनी चाहिए।
हिंदी शिक्षण की शुरूआत वर्णमाल से क्यों?
वर्णमाला पढ़ाने की सबसे बड़ी वजह है कि एक शिक्षक आश्ववस्त हो जाना चाहता है कि उसके बच्चे वर्ण पहचान पा रहे हैं या नहीं। यह परंपरागत और लोकप्रिय तरीका है। मगर ‘वर्ण ज्ञान’ का यह इकलौता तरीका नहीं है। इसके अलावा भी अन्य तरीके हैं जिनके जरिए बच्चों को पढ़ना सिखाया जा सकता है। उदाहरण के तौर पर अगर बच्चों ने तीन-चार वर्ण सीखे। जिनको आपस में जोड़कर कुछ सार्थक शब्द बनाए जा सकते हैं तो बच्चों के लिए ऐसी प्रक्रिया से वर्णों को पहचानना और उनका इस्तेमाल करना तुलनात्मक रूप से ज्यादा रोचक होगा।
वर्णमाला रटाएं या नहीं?
इसलिए वर्णमाला रटाने की बजाय धीरे-धीरे एक-एक अक्षर के साथ काम करें। उसकी आकृति और आवाज़ से बच्चों को परिचित होने दें। ताकि सीखने की प्रक्रिया रोचक बनी रहे। बच्चों को लायब्रेरी से अपने स्तर के अनूरूप किताबें पढ़ने का मौका दें। इससे बच्चे वे समझ पाएंगे कि वे भविष्य में अपनी इस क्षमता का इस्तेमाल कहाँ करने वाले हैं। बच्चे बहुत से वर्ण और मात्राएं बग़ैर शिक्षक के क्लासरूम में पढ़ाएं सीख जाते हैं। यह बात मैंने लिट्रेसी कार्यक्रम में काम करते हुए देखी। यह बच्चों के अनुमान लगाने के कौशल का भी हिस्सा है।
बच्चों को बारहखड़ी रटाने से बी बचना चाहिए क्योंकि बच्चे बारहखड़ी को पहाड़े की तरह याद करके पढ़ने की कोशिश करते हैं तो उनका धाराप्रवाह पठन बाधित होता है। इस बारे में आप एजुकेशन मिरर के भाषा शिक्षण वाले कॉलम में विस्तार से पढ़ सकते हैं।
(एजुकेशन मिरर की इस पोस्ट को पढ़ने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद। इस पोस्ट के बारे में अपनी राय साझा करिए। अपने नाम के साथ अपनी टिप्पणी कमेंट बॉक्स में लिख सकते हैं। शिक्षा से जुड़े कोई सवाल, सुझाव या लेख आपके पास हों तो साझा करें। हम उनको एजुकेशन मिरर पर प्रकाशित करेंगे ताकि अन्य शिक्षक साथी भी इससे लाभान्वित हो सकें।)
Education mirror ke madhyam se primary stage par di Jane wali bhasha kaushal bikash ka ye tips bahut hi kargar hai José sikshak apnana chahiye. dhang kathin ho sakta hai par usase kahi jyada productive hai. Mai ishka bahut hi istemal karta hun. Jaise ungaliyo Ki pakad , use ghumane ka vigyan, rekhaon ke prakar , circle yani gola banana. Yaha gola ka arth vrit se hai. Bachcho ke liye gola shabd ka prayog effective rahata hai. Phir triangle square etc.Ye sab akritiyan chhote & saral hone chahiye. Ek bat aur swar sanketo yani matra ko prastut kar unke tasviron Ki pahchan karayen jasha mohar Singh ji ke post me iske vishaya me puchha gaya hai. Aage main apni bat badhate hue ye kahta hun Ki matra ko vorno me milakar sangrahit karna sikhayen jisase unhe varah khadi ka adhigam sunischit ho. Ye karne ke bat padhane likhane Ki parampara easier hota jata hai Jo suruwati star par kaushal Vikash ke liye diya Jane wala adhigam ka aadhar swaroop hai. Eske bad vyakaran kaushal sambardhan jase jase upar kachhaon me hota jayega unka comprehension me sudhar yoga. Is prakriya ke dwara bachcho me sikhane ka dar IQ level ke anusar bahut hi upogi hai. Sadhanyabad upyog kar comment Karen.
आपकी इस पहल का स्वागत है। मराठी पढ़ने वाले छात्रों और पढ़ाने वाले शिक्षकों को इससे लाभ मिले, इससे अच्छी बात भला क्या हो सकती है? आपके प्रयासों के लिए शुभकामनाएं।
विरजेश भाई ,
आपके लेख जो है वो मराठी की संदर्भ मे पुख्ता बैठते है। प्रादेशिक स्तर पर मामुली बदलाव करके हम इसे मराठी भाषा के लिये भाषांतरित करना शुरू करते है।
सागर कांबळे,
पुणे
बहुत सुंदर समझाया ।
बहुत-बहुत शुक्रिया मोहर सिंह जी। आपका सवाल शायद अक्षरों को जोड़कर शब्द बनाने से जुड़ा हुआ है। इसके लिए बच्चों को दो अक्षरों को बोलकर जोड़ना सिखाया जा सकता है। इसके बाद दोनों अक्षरों को अलग-अलग लिखकर जोड़ने और पढ़ने का अभ्यास कराया जा सकता है। इसका लक्ष्य है कि बच्चे शब्द को शब्द की तरह पढ़ पाएं जैसे क ल = कल , जब बच्चे कल को कल की तरह पढ़ने लगें खुद से तो फिर उनको दो से अधिक अक्षरों को एक साथ पढ़ना सिखाया जा सकता है। उम्मीद है कि आपको अपने सवाल को सुलझाने में इस बात से मदद मिलेगी।
Later reading ke bare me aapne bahut achche se difind Kiya hai
Lekin mera ek sawal hai ki
Jab hum kahani ke chitron par bat karte hue kahani vachan Kiya uske bad barahkhari ki thik uske Baad humne deciding ki jaise
Ka
Ma
La
Aadi uske Baad jab thik ka ke bad koi letter jorte hain to bachchon Ko samjhne me samasya kaha Hoti hai ek letter Ko doosre letter Ko Horne par pls uske baare me sujhv de
Later reading ke bare me aapne bahut achche se difind Kiya hai
Lekin mera ek sawal hai ki
Jab hum kahani ke chitron par bat karte hue kahani vachan Kiya uske bad barahkhari ki thik uske Baad humne deciding ki jaise
Ka
Ma
La
Aadi uske Baad jab thik ka ke bad koi letter jorte hain to bachchon Ko samjhne me samasya kaha Hoti hai ek letter Ko doosre letter Ko Horne par pls uske baare me sujhv de
अपनी राय साझा करने के लिए बहुत-बहुत शुक्रिया रजनी जी। यह सवाल एजुकेशन मिरर के साथ साझा किया गया था, हमने इसका जवाब देने की कोशिश की है।
आपने बहुत ही अच्छी जानकारी दी है।