आरव की डायरीः पढ़िए चोखी ढाणी सोनीपत की कहानी

IMG_20190316_205052520डायरी के यह पन्ने इस मायने में बेहद ख़ास हैं क्योंकि यह दूसरी कक्षा में पढ़ने वाले एक स्टूडेंट ने लिखी है। उनका नाम आरव है। उनकी लेखनी में कैसे चिड़ियाघर की तमाम यादें खिंची चली आती हैं, आप उनकी लेखनी से गुजरते हुए पढ़ते हुए महसूस कर सकते हैं। इसे पढ़ते समय एक बच्चे की नज़र से चिड़ियाघर की पूरी यात्रा को महसूस करने की कोशिश करिए (मात्राओं और व्याकरण से बेपरवाह होकर) और आनंद लीजिए। इस पोस्ट में पढ़िए सोनीपत के चोखी ढाणी के विज़िट की कहानी हालांकि आरव इसे अपनी पोस्ट में चौकी ढाणी के नाम से परिचित कराते हैं। 

‘मैं स्वतंत्र हूँ…’

जिस दिन मैं चौकी ढानी जाने वाला था तब मूझे कूछ पता नही था कि मैं चौकी ढानी जाऊँगा। उस दिन मेरे पापा ने कहा कि हम चौकी ढानी जाएंगे फिर मूझे पता लगा कि ये चौकी ढानी क्या है। तब  वैभव अंकल और अनामिका दिदि भी आ रहे थे। फिर मैंने कपडे पहनने  के लिए चुने और तभी वहां मेरी मम्मी आई और बोली ये कपड़े खेलने के लिए हैं और गंदे भी है तो फिर मैंने दूसरे कपड़े लिए और मम्मी बोली ये भी नही , तूम कूरता और पजामा पहनो।

तो फिर मैने बोला कि मै स्वतंत्र हूँ और मैं कोई कपड़े  पहन सकता हूँ पर तब भी मेरी मम्मी नही मानी इसलिए मूझे पहनना पड़ा। कपड़े पहनने के बाद मेरे पापा उधर आए और बोले कि तूमने ये कपड़े पहने है तो फिर मैं ये पहनता हूँ नहीं मम्मी ने मूझे झबरदस्ती पहनाया है और तब भी जब मै स्वातंत्र हूँ कोई भी कपड़े पहन्ने के लिए कोई बात नही तब पापा ने कूरता पजामा पहन लिया तब मेरे मम्मी आई तब मेरे पापा ने बोला तुमने आरव को कपड़े पहन्ने क्यो नही दिए। दूसरे तब जब स्वातंत्र है कपड़े पहन्ने के लिए पर मैंने तो  बोला था कि ये नहीं दूसरे  कपड़े पहनो। तब मैंने कहा की तब तूमने समय ही कहा  दिया पहन्ने के  लिए।

यहां खेलों का आनंद भी है

IMG_20190316_200654426उसके बाद गाड़ी आई उसमे अनामिका दिदी और वैभव अंकल थे  फिर हम गाडी में बैठे फिर  मूझे निंद आई। उस वक्त मेरे पापा ने मूझे धक्का नहीं दिया जैसे झू मे जाते हुए दिया था। सोने के बाद मै जब उठा तब हम पहूंच गए थे।  फिर हम गाड़ी से उतरे और चौकी ढानी में गए मूझे गेट के पास दो मूरतीयाँ दिखी फिर हम गेट पर आए फिर एक  लेडी दिखी उसके हाथ मे एक थाली थी फिर उसने हमे टीके लगाए फिर हमने टिकिट लि और उन्होने मूझे पींक बैंड लगाए वो कागज की थी और बहूत चिपकू थी  उधर राजस्थानी और पूरानी-पूरानी चीजें थी   फिर हमने उधर बहूत सारी फोटो निकाली   फिर हम आगे गए उधर एक स्टॉल दिखा  उस स्टॉल का लड़का सबको फ्री मे जलजीरा या गोलगप्पों का पानी दे रहा था  तो मैंने गोलगप्पों का पानी पिया   वहाँ सब कूछ एक बड़े मैदान मे था

फिर हम सबको वॉशरूम जाना था पर मूझे नहीं आई थी फिर हमने वॉशरूम को बहूत ढूंडा पर हमे नही मिला।  हमने चौकी ढानी मे काम  करने वाले लड़के से पूछा तो उसने इशारा करके कहा कि उधर है फिर हम उधर गए और वॉशरूम करके आये   उसके बाद हम कैनटीन गए और जहाँ पे हमने टिकिट ली थी उधर हमें खाने के कूपन मिले  थे हमने सिट पकड़ी उन सबपे कचोडी लिखी थी पर हमें कुछ और पता है हमे क्या मिला कचौड़ी हि पर चूरा करके और पकौड़े   फिर सबने पकौड़े लिए और मैंने कचौड़ी लि   फिर मैंने कचौड़ी और थोड़े पकोड़े खाए   उसके बाद मैंने बहुत सारे गेम खेले पहला गेम ऐसा था   ये गेम बॉल फेंककर ग्लास को गिराना था अगर बॉल से सभी ग्लास गिरे तो हमे प्राइस मिलेंगे अगर सारे नही गिरे तो कूछ नही मिलेगा और वही गेम खेल सकता है जिसके हाथ मे बैंड है अगर जिसके हाथ मे बैंड नहीं है और उसे खेलना है तो उसे पैसे देकर खेलना पड़ेगा   उसके बाद मैंने डार्ट बोर्ड खेला  पहले एक बच्चा खेल रहा था तो वहा एक डार्ट था तो मैने ऐसे ही डार्ट बोर्ड पे मार दिया और तूक्के से मेरा निशाना ८० पे लग गया फिर मैंने असली खेल खेलना शुरू किया तो फिर पता है की कहा कहा लगाने लगे 40, 50 ऐसे – ऐसे नंबर पे लगने लगे  उसके बाद वाला गेम धनूष बान था पर वो बच्चो के लिए नही था   फिर बास्केटबॉल वाला गेम था  उसमे तीन चान्सस थे उसमे से मेरा एक गया ।

मटके में गेंद वाला खेल

फिर अगला गेम ये था कि एक बॉल उठाकर इनमें से किसी भी मटके मे डालो अगर नही गई तो कोई बात नही अगर गई तो भी कोई बात नही पर मेरा एक भी नहीं गया   उसके बाद सभी गेम खतम हो गए    फिर मैने कटपुटलीयों का डान्स देखा बड़ा मजा आया था। फिर हम आगे गए वहा पर दो घोड़ो कि कटपूतलिया दिखी वो ऐसे दिखती है   फिर बाहार के दो लड़के और  वो दोनों घोड़े लेकर नाचने लगे। उधर अनामिका दिदि और वैभव अंकल ने मेरे पापा और मम्मी ने भी और बहुत सारे लोगो ने नाचा   मम्मी मूझे भी नाचने के लिए बोल रही थी तो मै सिडियो के पीछे छिप गया   फिर सभी बाहर आए उधर ये वाला गेम था फिर मैने वो वाले कपड़े पहने फिर मै सिडीयो के ऊपर चढ़ा उन्होने मूझे  धक्का दिया तब मै उधर रुक गया क्योकि मै तब डरा था फिर मै अपने आप चला गया। फिर मूझे मजा आने लगा जहा पे मेरे मम्मी पापा थे , उधर मैंने उनको हाथ किया फिर एक लकड़ी का टुकड़ा आया और मूझे  धीरे किया क्योंकि उधर  मूझे रुकना था

IMG_20190316_194631060फिर उन्होने चेयर लगाई और मै उसपे खड़ा हुआ मै उधर ही बेल्ट निकाले जा रहा था फिर उन्होने मूझे कहा कि अब उतर भी जाऊंगा  मैं चेयर से उतर गया फिर सिडियो से उतर कर ड्रेस देने गया   उसके बाद मैंने ऊँट देखे उनके उपर भी दो या तीन लोग थे तो मेरे मम्मी पापा ने ऊँट कि सवारी के काउंटर से टिकिट निकाली और वैसे भी मेरे लिए फ्रि था क्योंकी मेरे हाथ मे बैंड था। तो हम सिडियो से उपर चढे क्यो-कि ऊँट लंबे होते है। उपर दो साइड थे एक साइड काला और दूसरी साइड मानवी रंग का तो हम काले ऊँट के साइड मे गए तो फिर दूसरो की बारी थी और वो  वाली साइड खाली थी तो हम उस साइड चले गए।

ऊंट की सवारी भी

जब ऊँट आया तब हम बैठ गए मूझे आगे बैठना था तो मै बैठ गया और पापा पिछे बैठे पर मम्मी को बिच मे बैठना नही आया जो ऊँट निचे से चलाता था उसने कहा कि आप आगे बैठ जाओ और बच्चे को बिच में बिठाओ तो फिर हम वैसे बैठ गए तो फिर ऊँट चलने लगा घोड़े के जैसे, घोड़े पे मैंने और मम्मी  ने राइड  कि थी तो फिर हमने एक चक्कर  लिया फिर हम ऊँट से उतरे उसके बाद हमे ट्रेन दीखी मै पहले तो ट्रेन के डब्बे मे गया  फिर ट्रेन चलने लगी वहा मूझे मजा आया उसके बाद मैं उतरा फिर मूझे और करना था और उस ट्रेन का ड्राईवर भी सिधा – साधा आदमी था तो मैंने उन्से पूछा कि मै एक और बार कर सकता हूँ पिछे खड़े होकर तो उन्होने कहा कि हाँ  तो फिर मैं पिछे खड़ा हो गया   और इतना मजा आया कि आप सोच भी नहीं सकते। फिर मैं नीचे उतरा।

फिर हम कोलम्बस नामक एक झूले पे गया वो ऐसा था  वहा पे मेरे मम्मी पापा ने टिकिट निकाली उधर पहले ही लोग थे तो हम रुक गए वहा  अनामिका दिदि और वैभव अंकल पहूचे तो उन्होने भी टिकिट निकाली तो फिर वो राइड रुक गयी मूझे  पिछे बैठना था पर अनामिका दिदि के बजह से बिच मे बैठना पड़ा इधर —-और पहले से ही सबसे पीछे कोई बैठा था   फिर राइड शूरू हो गई तब तो मज़ा नही आया था पर उसके बाद मत्लब तेज होने के बाद, इतना मज़ा आया कि मैं बता भी नहीं सकता पर अनामिका दिदि को कूछ मज़ा नही आया वो इतनी डरी थी कि वो आँखे बंद करके आगे वाले हान्डल को पकड़ी रही पर बिच वालो को हि इतना डर लग रहा था तो सबसे पिछ वालो को कितना लगेगा   हाँ पता है जब एक साइड ऊपर जाती है तब वो चिल्लाती है जब दूसरी जाती है तब वो चिल्लाती है   फिर ये झूला रुकने लगा फिर हम उतर गए उसके बाद हम आगे गए। उधर ये था इसमेसे मैं एक हि झूले पे चढ़ा नहीं ये वाला लगता है वो बड़ो के लिए होगा वो बोल रहे थे कि तुम्हारे साईज कि नही है मत्लब अभी तूम्हारी हाइट नही है  मैंने इसमें से सभी किए थे बस इसे छोड़कर।

फिर हम  एक हॉल मे डान्स करने गए। लेकिन मै बैठा रहा बस एक ही बार किया फिर हम खाना खाने गए बिच मे हमे एक गूफा दिखी हम उसमे गए मूझे लगा कि वो छोटी गूफा होगी पर इतनी बड़ी गूफा थी वो और पता है कि एक लड़का जहाँ से हम आ रहे थे उसके अगली साईड से आया भागते भागते और मै चल राहा था  आगे तो डर गया फिर हम निकल गए   नही , नही, इसके पहले हम बाजरे कि भाकरी खाने के लिए गए और मूझे वो पसंद आई वैभव अंकल और अनामिका दिदि ने नही खाई क्योंकि उन्होने पहले से खाई थी उसके बाद हमने मैजिक शो देखा उन्होने मूझे बूलाया और मैजिक किये उसके बाद हम गूफा मे गए फिर हमने खाना खाया उधर बहुत सारा खाना था उसमे से मैंने आधा भी नहीं खाया। फिर वहा लड़का ये पुछने आया कि खाना कैसा लगा हमने बहूत अच्छा कहा तब अनामिका दिदि ने कहा की आपकि टोपी कहा है तो उन्होंने कहा कि आपको चाहिए हाँ फोटो निकालने के लिए तो फिर उन्होने टोपी दी और सबका फोटो निकाले फिर हम बाहर आए।

26 Comments

  1. Nice to read your article dear aarav. It gives glimpses of chokhi dhani.

  2. Very nice aarav keep it up

  3. Virjesh Singh May 7, 2019 at 7:00 pm

    आरव का उत्साहवर्धन करने के लिए आप सभी का बहुत-बहुत शुक्रिया और आभार।

  4. Archana Patil May 7, 2019 at 7:24 am

    खूपच छान प्रवासवर्णन, खूप गोष्टी लक्षात ठेवून तुझ्या शब्दात मांडल्या, तुला पुढच्या प्रवासासाठी खूप खूप शुभेच्छा💐💐💐

  5. खूप छान आरव
    👌👌

    सर्वसाधारण पणे कुणाचाही विश्वास बसणार नाही हे लिखाण इयत्ता दुसरीच्या विद्यार्थ्यांचे आहे म्हणून

    सुंदर

  6. संतोष May 6, 2019 at 11:48 am

    आरव आप बहुत अच्छा व सुंदर लिखे हो हमें पढ कर बहुत मजा आया आपकी डायरी के साथ हम भी चोखी ढाणी की सैर कर लिए । आप को मेरी शुभ कामना ।

  7. Shruti Marotrao Tupat May 5, 2019 at 5:42 pm

    Krch patekshat chokhi dhani la swata visit kel as vatl……. 👌👌 all the best aarav……

  8. Very nice journey aarav,keep it up.

  9. सागर शितोले May 5, 2019 at 2:30 pm

    आरे वा !! खुपच सुंदर लेखन, इयता 2 रा वर्गामध्ये शिकनार्या आरवच खुपच कौतूक वाटत. इतक्या लहान वयात इतक सुंदर प्रवास वर्णन. असच छान तुझे प्रवास वर्णन लिहित रहा. पुढील प्रवास वर्णन साठी खुप खुप शुभेच्छा.

  10. Aarav super line keep it up

  11. Very nice and creative writing Aarav

  12. 👍 bahut achha …likha hai… Good 🙂 keep it up… Aarav 👍

  13. अच्छा लिखा ।

  14. Keep it up….

  15. Very nice Arav

  16. Chhaya Mhatre May 5, 2019 at 3:27 am

    खूप सुंदर प्रवासवर्णन केलं आहे..चोखी ढाणी प्रत्यक्ष पाहिल्याचा अनुभव तुझ्या लिखाणातून मिळाला. All the best Aarav.

  17. आरव.. खूप सुंदर प्रवासवर्णन करतोस. तुझ्या लेखातून चोखी ढाणी पाहिली…… Keep it up

  18. Nitin Ghongade May 5, 2019 at 3:20 am

    Super line Aarav, Great going, Keep it up

  19. Very nice, Talented & Genius boy.

  20. Very nice,Talented & Genius boy.

  21. Superb Aarav

  22. Milind dalvi May 4, 2019 at 8:08 pm

    Nice aarav keep it up.

  23. आरव….बापरे एवढं सगळ तु लक्षात ठेवलस….खुप छान!असंच छान लिहीत राहा आणि तुझ्या प्रवासवर्णनातून आम्हालाही त्या जागी जाऊन आल्याचा अनुभव मिळावा.

  24. It’s awesome

  25. Very nice 👌

  26. Sanjay kumar May 4, 2019 at 5:37 pm

    Very nice diary Aarav

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