बाल साहित्यः लाली का नया दोस्त – इवोन जागतेनबर्ग
इस किताब की लेखिका और चित्रांकनकर्ता ईवोन जागतेनबर्ग का जन्म नीदरलैंड के टिलबर्ग नामक स्थान पर 8 दिसंबर 1967 को हुआ। स्वतंत्र कलाकार के तौर पर काम करने के बाद ईवोन का रूझान बच्चों के लिए किताबें लिखने और चित्र बनाने की तरफ हुआ। उन्होंने 1994 से डच भाषा में बाल साहित्य के लिए सक्रिय रूप से लिखना शुरू किया। उनकी पहली किताब 1994 में आयी – A man for Miss Jet। साल 2018 में आयी उनकी किताब My wonderful uncle की भी अच्छी ख़ासी चर्चा हुई।
उन्होंने बच्चों के लिए बहुत सी किताबों का लेखन और चित्रांकन किया है। मूल रूप से डच भाषा में लिखी इनकी किताबों का अंग्रेजी, जापानी, हिन्दी समेत लगभग नौ भाषाओं में अनुवाद हुआ है। भारत में इसके हिन्दी अनुवाद को ‘A & A बुक्स’ ने प्रकाशित किया है।
अपने एक साक्षात्कार में ईवोन जागतेनबर्ग कहती हैं, “जब मैं बच्चों के लिए किसी किताब में चित्र बनाती हूँ और लिखती हूँ तो बहुत कुछ छोड़ देती हूँ। यह मेरी पिक्चर बुक के बारे में एक ख़ास बात है। इससे जो बात शब्दों से बयाँ नहीं होती, उसे चित्रांकन व्यक्त कर देता है। इससे शब्दों व चित्रों के बीच एक सामंजस्य बना रहता है।”
लाली का नया दोस्त
इस कहानी में एक लड़की अपने स्कूल में दाख़िला लेने वाले नये लड़के से दोस्ती करनी चाहती है। क्योंकि उसे लड़के की विचित्र हरकतें और आदते पसंद आती हैं। वह जानबूझकर उस लड़के के बगल में बैठती है। उसको अपने साथ खेलने के लिए कहती है, लेकिन लड़का लाली के साथ खेलने से मना कर देता है। लड़के की तरफ से होने वाली इस उपेक्षा के कारण लाली के भीतर गुस्सा, दुःख और निराशा के भाव पैदा होते हैं। वह नये लड़के के ऊपर गुस्सा होती है।
अगले दिन वह फिर स्कूल जाती है। वह नये लड़के रवि के साथ दोस्ती को आगे बढ़ाने की हिम्मत नहीं जुटा पाती। लेकिन फिर भी मन ही मन उसे पसंद करती है। ऐसे में स्कूल की शिक्षिका लाली की मदद करती हैं, अप्रत्यक्ष तौर पर वह नये लड़के रवि को स्कूल के माहौल में सहज होने और कक्षा के बच्चों से दोस्ती करने का अवसर देती हैं। शेष आप किताब से सीधे पढ़ सकते हैं।
कहानी की केंद्रीय थीम
इस कहानी में दोस्ती केंद्रीय थीम है। एक अज़नबी से परिचित होने की प्रक्रिया में जो डर, दुःख, निराशा, खुशी, आश्चर्य और अच्छा लगने के भाव होते हैं सभी को अभिव्यक्ति मिलती है। रवि लाली के साथ खेलना नहीं चाहता, लेकिन लाली का पूरा ध्यान उसको अपनी तरफ आकर आकर्षित करने, उसका अनुमोदन हासिल करने और उससे दोस्ती का होता है।
यह कहानी पाठक की कल्पना के लिए काफी गुंजाइश छोड़ती है। इसे सुनने वाले बच्चों के मन में समानुभूति के भाव जागृत करने की सामर्थ्य रखती है। शिक्षक की भूमिका को भी रेखांकित करती है कि वे बच्चों के फैसलों में सीधे-सीधे दख़ल नहीं देते। उन्हें खुद से अपने फैसले लेने का माहौल देते हैं।
किताब के चित्रों की कुछ ख़ास बातें
लेखिका ने चित्र भी खुद बनाए हैं, इसकी छाप स्पष्ट रूप से किताब को पढ़ते हुए नज़र आती है। टेक्सट और चित्र एक दूसरे पर हावी नहीं होते। दोनों के लिए किताब की डिज़ाइन में एक संतुलन है। कुछ बातें चित्रों के माध्यम से ज्यादा अच्छे से अभिव्यक्त होती है। अपनी भावनाओं और कल्पनाओं को शामिल करने की काफी गुंजाइश है इस किताब में।
यह किताब हिन्दी भाषा में ‘ए एंड ए बुक्स’ ने प्रकाशित की है। पूर्व-प्राथमिक से लेकर उच्च प्राथमिक कक्षाओं तक के बच्चों के साथ इस किताब का उपयोग किया जा सकता है। बच्चों के साथ दोस्ती के अनुभवों पर खुली चर्चा व संवाद के काफी मौके इस किताब में है। इस किताब का मूल्य 70 रुपये है।
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