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लाइफ टिप्सः अचानक से बढ़े ‘स्क्रीन टाइम’ के बीच अपना तनाव कैसे कम करें?

20180609_111134.jpgआमतौर पर ‘स्क्रीन टाइम’ को कम करने की सलाह अच्छी मानी जाती है। लेकिन फिजिकल डिस्टेंसिंग के नये दौर में टेक्नोलॉजी ने रोजमर्रा की ज़िंदगी पर अपना वर्चस्व फिर से जमा लिया है। बच्चों की ज़िंदगी पर भी इसका सीधा-सीधा असर पड़ रहा है। कुछ स्कूलों में तो बच्चों के लिए ऑनलाइन क्लासेज़ कर रही हैं, तो कुछ जगहों पर ह्वाट्सऐप के जरिये बच्चों के होमवर्क आ रहे हों तो नौकरीपेशा लोग वर्क फ्रॉम होम कर रहे हैं, ऐसे में टेक्नोलॉजी से दूर रहना तो संभव नहीं रह गया है।

ऑनलाइन पढ़ाने के प्रयासों के बीच बच्चे भी टेक्नोलॉजी से नजदीक आ रहे हैं। पहले वे वीडियो गेम्स, कॉर्टून और पबजी खेलने के लिए मोबाइल का इस्तेमाल करते थे, लेकिन अब तो होमवर्क, लेसन प्लान और चेक किया हुआ होमवर्क ह्वाट्सऐप से मिलने का समय आ गया है। इसलिए बच्चे हो सकता है कि इस बदलाव को नई नज़र से देख रहे हों और बड़े भी हैरान-परेशान हो रहे हों कि इस समय की अपेक्षाओं और चुनौतियों के कैसे पार पाया जाये?

लोगों से बातचीत करें

टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल का एक अंजाम अकेलापन भी है। इसलिए बेहतर है कि अपने आसपास मौजूद लोगों से आमने-सामने थोड़ी दूरी बनाते हुए बातचीत करें। यह बात बड़ों के लिए भी है और बच्चों के लिए भी। इससे खुशी और ज़िंदादिली का भाव मन में सकारात्मक विचारों व भावनाओं को आने की वज़ह देगा। इसके साथ ही साथ एक्सरसाइज या थोड़ी देर के लिए तेजी से टहलने का विकल्प भी हमें सक्रिय होने का मौका देगा।

हर रोज़ कुछ नया सीखें

टेक्नोलॉजी की बदलती दुनिया में क़दमताल करने के साथ-साथ प्रयास करें कि रोज़ाना कुछ नया पढ़ें। किताबों के साथ समय बिताएं और समस्याओं को नये तरीके से हल करने की कोशिश करें। इससे आपके समस्या समाधान के कौशल में निखार आयेगा। बच्चों के साथ चीज़ों को शेयर करते समय संक्षिप्त, सटीक और स्पष्ट रहने की जरूरत है। कोशिश करें कि बच्चों को पुनरावृत्ति का ऐसा काम दें ताकि वे जुड़ाव महसूस करें। ऐसी स्थिति में ही वे होमवर्क व अन्य चीज़ों को महत्व देंगे।

बेहतरी के लिए टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल

fb_img_15877620466574600994692773790162.jpgसोशल मीडिया के माध्यम से हम दोस्तों व नये लोगों से जुड़ सकते हैं। लेकिन सोशल मीडिया के फ्लो में बहने वाली ख़बरों से थोड़ा सतर्क रहने की जरूरत है। इनका ज्यादा उपभोग आपको नकरात्मक बना सकता है और आपके मानसिक स्वास्थ्य पर इसका विपरीत असर पड़ सकता है। इसलिए बेहतर है कि ज्यादा ख़बरों की बजाय कुछ ठोस पढ़ने की कोशिश करें। रोज़ाना समय निकालकर कोई एक सकारात्मक फेसबुक पोस्ट, ट्वीट और ब्लॉग या डायरी लिखें। इससे आपको अपना मन बदलने और जीवन के साथ सामंजस्य में रहने में मदद मिलेगी।

खुद के लिए करें प्लानिंग

आपको जो भी काम करना है, उसके ऊपर फोकस बनाए रखें। चीज़ों को लिखकर रखना काफी उपयोगी साबित हो सकता है। बच्चों के साथ काम करने के लिए प्लान करें। भाषा को लेकर क्या करेंगे, कौन सी लाइब्रेरी बुक्स भेजेंगे, गणित में बच्चों को कौन सा काम देंगे और कौन-कौन सी प्रमुख चुनौतियां आ रही हैं जिनके समाधान की जरूरत है। इससे आपको समस्या पर केंद्रित रहने की बजाय समाधान देने की दिशा में बढ़ने में मदद मिलेगी।

जागरूक, सुरक्षित और ख़ुश रहें

जीवन में ज्ञान के साथ-साथ भावनाओं का समन्वय और ध्यान रखना जरूरी है। जैसे बच्चों तक हिन्दी, अंग्रेजी, गणित, पर्यावरण अध्ययन और अन्य सामग्री पहुंचाने की कोशिश हो रही है। वैसे ही पूरी शिक्षा व्यवस्था में ऊपर से नीचे तक खुशी और मानसिक स्वास्थ्य की बेहतरी के लिए भी छोटे-छोटे प्रयास होने चाहिए। जैसे दिल्ली के सरकारी स्कूलों से जुड़े बच्चों के लिए हैपिनेस करिकुलम पर काम हो रहा है। बच्चों व अभिभावकों तक ऐसा आनंद कहानियों व कविताओं के ऑडियो व वीडियो वर्ज़न के माध्यम से पहुंच सकता है। क्षेत्रीय भाषा की कहानियों व गीतों की इसमें एक महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है। आखिर में जागरूकता के लिए भी प्रयास बेहद जरूरी हैं।

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