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‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन में तेज़ी लाने की जरूरत’ – धर्मेंद्र प्रधान, केंद्रीय शिक्षा मंत्री

राष्ट्रीय शिक्षा नीति के प्रगति की समीक्षा बैठक

  भारत के केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान राष्ट्रीय शिक्षा नीति की समीक्षा बैठक का नेतृत्व करते हुए।

भारत के केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP-2020) की प्रगति को लेकर हुई समीक्षा बैठक के बाद ट्वीट करते हुए कहा, “राष्ट्रीय शिक्षा नीति केवल एक दस्तावेज़ भर नहीं है, यह हमारे लिए निर्देशित करने वाले दर्शन के समान है। इसमें भविष्य की शिक्षा के पूरे परिदृश्य का विज़न है, राष्ट्रीय शिक्षा नीति आगामी पीढ़ियों के सर्वांगीण विकास के लक्ष्य को हासिल करने का प्रयास करेगी।”

धर्मेंद्र प्रधान मोदी सरकार के पहले कार्यकाल से लेकर अबतक के चौथे मंत्री हैं जो बतौर शिक्षा मंत्री राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन को गति देने का काम करेंगे।

डाउनलोड करें: राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 का पीडीएफ़: हिन्दी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में

नरेंद्र मोदी सरकार की प्राथमिकता में राष्ट्रीय शिक्षा नीति शामिल रही है। इसके निर्माण से लेकर अंतिम प्रारूप की अवधि तक में लगातार चर्चा होती रही है। लेकिन इसके क्रियान्वयन को कोविड-19 के कारण गति नहीं मिली, हालांकि इसको लेकर राष्ट्रीय स्तर से लेकर राज्य और जिला स्तर पर विभिन्न सरकारी व ग़ैर-सरकारी संस्थाओं द्वारा विभिन्न चर्चा सत्रों का आयोजन करके एक व्यापक विचार-विमर्श के माध्यम से राष्ट्रीय महत्व के दस्तावेज़ पर महत्वपूर्ण चर्चा हुई है।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन को गति देने पर है फोकस

राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के तहत ही मानव संसाधन विकास मंत्रालय का नाम बदलकर शिक्षा मंत्रालय रखा गया। वर्तमान में शिक्षा मंत्रालय के सामने पूर्व के निर्णयों की समीक्षा करने के साथ-साथ आगामी लक्ष्यों के निर्धारण और उसे हासिल करने की तैयारियों पर ध्यान देने की बड़ी जिम्मेदारी है। इसी संदर्भ में वर्तमान केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने NEP-2020 के क्रियान्वयन को गति देने, इसको लेकर जागरूकता का प्रचार-प्रसार करने व कौशल-शिक्षा के समन्वित तरीके से आगे ले जाने के प्रति अपनी प्रतिबद्धता जताई है।

भारत की राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 में बहुत से महत्वाकांक्षी क़दमों की बात की गई है जैसे स्कूल रेडिनेस को एक प्राथमिकता के तौर पर देखना। इसके साथ ही साथ पूर्व-प्राथमिक शिक्षा के लिए व्यापक स्तर पर प्रशिक्षण व आवश्यक संसाधनों को उपलब्ध कराने की तरफ राज्य सरकारों का ध्यान आकर्षित करना और राष्ट्रीय स्तर पर इसके लिए पाठ्यक्रम व अन्य सहयोग उपलब्ध कराने की प्रतिबद्धता। इसे ज़मीनी स्तर पर क्रियान्वित करना एक बड़ी उपलब्धि की बात होगी, क्योंकि यह विचार अभी तक केवल निजी क्षेत्र के चुनिंदा प्ले स्कूलों तक ही सीमित था।

कोविड-19 के कारण स्कूली शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक के क्षेत्र में काफी सारी चुनौतियों का सामना पूरे देश को करना पड़ रहा है। इसके समाधान की सफल रणनीति बनाने और उसे राज्य सरकारों के साथ समन्वय बनाते हुए आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी केंद्रीय शिक्षा मंत्री पर भी है ताकि शिक्षा मंत्रालय के काम की चर्चा हो सके और क्रियान्वयन से जुड़े पहलुओं पर लोगों का विशेष ध्यान जा सके। आने वाले दिनों में शिक्षा मंत्रालय की तरफ से ऐसे नये क़दमों की तरफ लोगों की निगाह होगी जो भविष्य में शिक्षा की दिशा और दशा तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।

(आप एजुकेशन मिरर को फ़ेसबुक और ट्विटर पर फ़ॉलो कर सकते हैं। अपने आलेख और सुझाव भेजने के लिए ई-मेल करें mystory@educationmirror.org पर और ह्वाट्सऐप पर जुड़ें 9076578600 )

 

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