चर्चा मेंः राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 की 10 ख़ास बातें क्या हैं?

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29 जुलाई 2020 को कैबिनेट मे राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 को अपनी मंजूरी दे दी है। इसके साथ ही नई शिक्षा नीति को लेकर जारी इंतज़ार पूरा हो गया है। इस बदलाव का आने वाले समय की शिक्षा पर क्या असर पड़ेगा? इन बदलावों को किस रूप में देखा जाए, शिक्षा जगत में इस मुद्दे पर चर्चा शुरू हो गई है। बहुत से लोगों को मानव संसाधन विकास मंत्रालय का नाम बदलकर शिक्षा मंत्रालय करने की बात भी काफी पसंद आ रही है।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के तहत कॉलेजों में होने वाली पढ़ाई को अंतर्विषयक (यानि दो विषयों के अलग-अलग पाठ्यक्रम से) पढ़ाई को भी मंजूरी देने की बात कही जा रही है। इंग्लिश और हिन्दी के अलावा अन्य क्षेत्रीय भाषाओं में भी ई-कंटेट विकसित करने पर जोर दिया जायेगा। अब पढ़िए नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 की दस ख़ास बातें।

1. नर्सरी से 12वीं तक की पढ़ाई को 5+3+3+4 के फॉर्मूले के तहत चार चरणों में बाँटा जायेगा। पहले पाँच साल को फाउंडेशन स्टेज के रूप में देखा जायेगा और इसमें तीन साल की पूर्व-प्राथमिक शिक्षा को भी शामिल किया गया है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 में पूर्व-प्राथमिक शिक्षा को इतना महत्व देना एक उल्लेखनीय बात है। कक्षा तीन से पाँच तक की पढ़ाई को तैयारी वाली स्टेज माना गया है। तीसरी और पाँचवीं कक्षा में परीक्षा का भी प्रावधान राष्ट्रीय शिक्षा नीति में किया गया है। छठीं से आठवीं तक की पढ़ाई को मिडिल स्टेज कहा गया है, इसका जिक्र करते समय लोगों को पुराने समय के मिडिल स्कूलों की याद आ सकती है, जिसे वर्तमान में उच्च प्राथमिक विद्यालय कहा जा रहा है। कक्षा नौवीं से बारहवीं तक की पढ़ाई को सेंकेंडरी स्टेज माना जायेगा और इसमें साइंस, आर्ट, कॉमर्स जैसा बंटवारा नहीं होगा और स्टूडेंट्स अपनी पसंद के अनुसार कोर्स का चुनाव कर सकते हैं।

2. पहली से पाँचवीं तक होगी मातृभाषा में पढ़ाई और इसके साथ ही साथ ‘नो बैग डे’ को भी प्रोत्साहित किया जायेगा।

3. एक ग़ौर करने वाली बात और है कि कक्षा छठीं से कोडिंग की पढ़ाई भी बच्चे कर सकेंगे। यानि शिक्षा में टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल को हर स्तर पर प्रोत्साहित किया जा रहा है।

4. बोर्ड परीक्षाओं के पैटर्न में बदलाव होगा और उनकी परीक्षा के लिए दो भाषाओं का विकल्प स्टूडेंट्स के लिए उपलब्ध होगा। हर विषय में वस्तुनिष्ठ और विस्तृत उत्तरीय सवालों का समावेश किया जायेगा।

5. जीवन कौशल के शिक्षण को भी प्रमुखता के साथ शामिल किया जायेगा, यह बात भी नई शिक्षा नीति में कही गई है।

6. उच्च शिक्षा के संदर्भ में कुछ ख़ास बदलाव भी देखने को मिलेंगे। विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षण संस्थानों में प्रवेश के लिए कॉमन प्रवेश परीक्षा को बढ़ावा मिलेगा। इसके साथ ही साथ संगीत, कला और साहित्य की पढ़ाई सभी कॉलेजों में करने की व्यवस्था की जायेगी। ग्रेजुएशन स्तर पर कॉलेजों को ज्यादा स्वायत्तता मिलेगी। रिसर्च को लेकर उच्च शिक्षा संस्थाओं को प्रोत्साहित किया जायेगा।

7. आईआईटी जैसी संस्थाओं में साइंस के साथ-साथ कला और मानविकी के विषयों के अध्ययन को भी शामिल करने पर ज़ोर दिया जायेगा ताकि विभिन्न विषयों में अध्ययन का अवसर स्टूडेंट्स को एक जगह पर मिलेगा।

विदेशी विश्वविद्यालयों को भारत में कैंपस खोलने की मिलेगी अनुमति

8. इसके साथ ही दुनिया के टॉप-100 विदेशी विश्वविद्यालयों को भारत में अपना कैंपस खोजने के लिए सहयोग किया जायेगा। यानि भारत के शिक्षा बाज़ार में विदेशी विश्वविद्यालयों के प्रवेश को औपचारिक मंजूरी राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के अमल में आने के बाद मिल गई है। संस्कृत विषय को मुख्य धारा में लाने की भी पहल नई शिक्षा नीति के तहत की गई है। उच्च शिक्षा के तीन भाषाओं वाले फॉर्मूले को अपनाया जायेगा।

डाउनलोड करेंः  राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 का पीडिएफ

9. 2030 तक प्रत्येक जिले में एक ऐसा कॉलेज बनाने पर ध्यान दिया जायेगा जहाँ स्टूडेंट्स विभिन्न विषयों के अलग-अलग क्रेडिट्स का चुनाव अपनी पढ़ाई के लिए कर सकेंगे। यह एक महत्वाकांक्षी क़दम है।

10. शिक्षा के ऊपर केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा संयुक्त रूप से जीडीपी का 4.43 प्रतिशत निवेश किया जा रहा है। इसे बढ़ाकर जल्दी ही 6 प्रतिशत करने की बात राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 में कही गई है।

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4 Comments

  1. Very nice efforts.

  2. महत्वपूर्ण जानकारी हेतु धन्यवाद ।

  3. जानकारी लिए लेख के लिए धन्यवाद।
    आशा है कि 34 सालो बाद आई नई शिक्षा नीति भारत में सैद्धान्तिक शिक्षा के स्थान पर व्यवहारिक और रोजगार प्रदान करने वाली शिक्षा साबित हो ।

  4. जानकारी परक लेख के लिए धन्यवाद ।
    34 सालों बाद आई नई शिक्षा नीति भारत में नवाचार को प्रोत्साहन और सैद्धांतिक शिक्षा के स्थान पर व्यवहारिक शिक्षा ,रोजगार परक शिक्षा को महत्व प्रदान करे ।यही आवश्यक है ।
    स्वागत है नई शिक्षा नीति का ,भारत के उत्तरोत्तर विकास में सहायक बने।

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