शिक्षा की बातः ‘शिक्षा के क्षेत्र में बदलाव व्यक्तिगत स्तर पर होने वाले प्रयासों से ही आयेगा’
हमें अक्सर लगता है कि बदलाव कुछ बड़ा करने से ही होता है। मगर विभिन्न शोध और अध्ययन से यह बात साबित हो चुकी है कि सिर्फ ज्ञान और जानकारी से व्यवहार में बदलाव नहीं होता है। बल्कि व्यवहार में बदलाव का रिश्ता इंसान की भावनाओं के साथ है। जब हम किसी बदलाव को लेकर उत्साहित होते हैं। प्रेरित होते हैं। उस बदलाव के कारण मिलने वाली ख़ुशी को महसूस कर पाते हैं तो बदलाव की प्रक्रिया आसान हो जाती है।
इस विचार के पीछे का मूल तत्व है कि इंसान की मन बड़े हाथी की तरह होता है, जिसे सिर्फ़ तर्क की ताक़त से किसी दिशा में चलने के लिए प्रोत्साहित नहीं किया जा सकता है। उसे प्रेरित करने के लिए हमें ऐसे रास्ते निकालने होंगे ताकि हम उसके मन में बदलाव की एक अच्छी छवि का निर्माण कर सकें।
व्यक्तिगत स्तर पर प्रयास जरूरी हैं
शिक्षक शिक्षा से जुड़े एक साथी कहते हैं, “अगर हम चाहते हैं कि किसी स्कूल में बदलाव हो तो उसके लिए व्यक्तिगत स्तर पर प्रयास करने की जरूरत है। केवल कभी-कभार स्कूल विज़िट कर लेने से और उस बारे में फीडबैक दे देने से बदलाव नहीं होगा। स्थायी बदलाव के लिए हमारी छाप भी स्थायी होनी चाहिए। विद्यालय स्तर पर मिलने वाला सहयोग और होने वाली चर्चा ज्यादा वास्तविक और सच के करीब होती है, जिसको समझते हुए परिस्थिति में जरूरी बदलाव करके ऐसे प्रयासों को सार्थक बनाया जा सकता है।”
ऐसे प्रयासों को बड़े स्तर पर ले जाने में स्वतः प्रेरित होकर काम करने वाले शिक्षकों की भूमिका बेहद अहम है। ऐसे शिक्षक जो सवालों को समाधान के अवसर के रूप में देखते हों और आगे बढ़कर शैक्षिक सवालों की जड़ में जाने का प्रयास करते हों। बच्चों की जरूरत को, अपने प्रयासों से पूरा करने के प्रति प्रतिबद्ध हों। कक्षा और स्कूल से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर शिक्षक साथियों का आपस में बैठकर बात करना और एक-दूसरे से सीखना (पियर लर्निंग) बेहद अहम है। इससे जिन मुद्दों पर बात होती है, वे स्थायी रूप से हमारे मन में जगह बना लेती हैं, जो जरूरत पड़ने पर बेहद आसानी से हमें याद आ जाती हैं।
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