#रीडिंगमेला : UP के प्राथमिक विद्यालयों में पढ़ने की संस्कृति को प्रोत्साहित करेगा ‘रीडिंग मेला’
उत्तर प्रदेश के प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालयों में पढ़ने की आदत को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से ‘रीडिंग मेला’ का आयोजन 15 अगस्त 2019 को किया जा रहा है। उस उद्देश्य के लिए विद्यालयों में मौजूद पुस्तकों का डिसप्ले लगाने और बच्चों को एक साथ बैठकर पढ़ने का अवसर देने व कहानी सुनने का अवसक उपलब्ध कराने की बात कही गई है। उत्तर प्रदेश में 1.59 लाख प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालय हैं जहाँ 1.54 करोड़ बच्चों का नामांकन है।
रीडिंग मेला के लिए बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा जारी निर्देश में कहा गया है, “बच्चों के साथ-साथ अभिभावकों व समुदाय के लोगों को भी विद्यालय में कहानी व कविता सुनाने का अवसर मिले। अभिभावकों को भागीदारी के लिए प्रोत्साहित करने हेतु सम्मानित करने की बात पर ज़ोर दिया गया है। इस रीडिंग मेले से बच्चों को पाठ्यक्रम से इतर अन्य साहित्यिक सामग्री को पढ़ने का अवसर मिलेगा जो उनकी रूचि को प्रोत्साहित करने की दृष्टि से मददगार साबित होगा।”
‘रीडिंग मेले’ की प्रमुख गतिविधियां
- किताबों का स्वतंत्र पठन करना
- समूह व जोड़ों में पठन
- पिक्चर बुक का उपयोग
- बच्चों द्वारा कहानी व कविता पढ़ना
- बच्चों को कहानी व कविता पढ़कर सुनाना
- बच्चों द्वारा पहले से पढ़ी हुई कहानी पर रोल प्ले करना
- कहानियों पर चर्चा के अवसर देना
विद्यालयों में ‘पठन संस्कृति’ का निर्माण जरूरी
रीडिंग मेला के बारे में बताते हुए उत्तर प्रदेश के बेसिक शिक्षा निदेशक डॉ. सर्वेन्द्र विक्रम सिंह ने कहा, “बच्चों में पढ़ने के प्रति लगाव, पढ़ने की आदत और विद्यालयों में पठन संस्कृति का निर्माण जरूरी है। इसमें बच्चों के माता-पिता और अभिभावक भी हमारी सहायता कर सकते हैं। स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर विद्यालयों में एक ‘रीडिंग मेला’ का आयोजन किया जा रहा है। मैं आपसे आग्रह करता हूँ कि हमारे लाखों विद्यालयों में पढ़ने वाले करोड़ों बच्चों को इस अवसर पर कुछ सार्थक पढ़कर सुनाएं।”
रीडिंग मेले के 10 बड़े फायदे इस प्रकार हैंः
- विद्यालय में लाइब्रेरी व रीडिंग कॉर्नर के इस्तेमाल को प्रोत्साहन मिलेगा
- लाइब्रेरी के सक्रिय होने से बच्चों को कहानी व कविताओं की किताबों को पढ़ने का अवसर मिलेगा
- इससे बच्चों के पठन कौशल व पढ़ने की आदत में बेहतरी आएगी
- जो बच्चे अटक-अटक कर पढ़ रहे हैं वे धारा प्रवाह पठन की दिशा में अग्रसर होंगे
- इससे बच्चों में ‘पियर लर्निंग’ की संस्कृति विकसित होगी
- बच्चों के आत्मविश्वास में बढ़ोत्तरी होगी
- उनके शब्द भण्डार में बढ़ोत्तरी होगी, वे शब्दों का अर्थ समझ सकेंगे
- कहानियों के ऊपर होने वाली चर्चाओं से समझ व आनंद के साथ पढ़ने का कौशल भी विकसित होगा
- इससे सरकारी विद्यालयों के प्रति अभिभावकों व समुदाय का सकारात्मक नज़रिया विकसित होगा
- उपरोक्त चीज़ों के होने की बस एक ही शर्त है कि ‘रीडिंग मेला’ में होने वाली गतिविधियों की निरंतरता बनी रहे और बच्चों को पुस्तकालय से जोड़ते हुए विभिन्न पठन गतिविधियों में हिस्सा लेने का अवसर दिया जाये। बच्चों का किताबों को घर ले जाकर पढ़ने का अवसर इस माहौल को बेहतर बनाने की दिशा में अत्यंत उपयोगी साबित होगा।
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