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रीडिंग रिसर्चः पढ़ने की जरूरत क्यों है?

पढ़ने (रीडिंग) को लेकर दुनियाभर में लगातार शोध हो रहे हैं। शोध के साथ-साथ पढ़ने को लेकर हमारी समझ समृद्ध हो रही है। इससे हमें उन तमाम तरीकों के बारे में जानकारी मिल रही है जिससे समझ के साथ पढ़ने की स्थिति को बेहतर किया जा सकता है। समझ के साथ पढ़ने की चुनौती सिर्फ भारत की नहीं है, बल्कि इसको लेकर दुनिया के अधिकांश देशों में काफी सारे प्रयास हो रहे हैं। बहुत से देश इस समस्या का समाधान खोजने की कोशिश कर रहे हैं।

एक बेहद ग़ौर करने वाली बात है कि स्थानीय भाषाओं में भी समझ के साथ पढ़ने की स्थितियां सुधार की माँग कर रही हैं। इसके साथ ही साथ स्थानीय भाषा से अन्य माध्यम में पढ़ाई करने वाले छात्र-छात्राओं को भी अपनी पढ़ाई के अलग-अलग दौर में ऐसी समस्याओं से दो-चार होना पड़ता है।

रीडिंग विथ मीनिंग, डेबी मिलर

समझ के साथ पढ़ना सिखाने की रणनीतियों को सहज भाषा में बताने वाली किताब है डेबी मिलर की रीडिंग विथ मीनिंग।

अंग्रेजी भाषा में समझ के साथ पढ़ने की रणनीतियों को लेकर बहुत सी किताबें और शोध सामग्री उपलब्ध है, लेकिन भारतीय भाषाओं में इस तरह की सामग्री की उपलब्धता नहीं के बराबर है। अगर थोड़ी बहुत सामग्री है भी तो उसका एक ही रास्ता है कि अन्य भाषाओं से अनुवाद के जरिये उसे हिन्दी, मराठी, तमिल, तेलगू व कन्नड़ समेत अन्य भाषाओं में पाठकों के लिए उपलब्ध कराया जा सके। इस दिशा में एजुकेशन मिरर के पाठकों के लिए हम नियमित तौर पर ऐसी सामग्री लेकर आते रहे हैं जो उनको शिक्षा के क्षेत्र में वैश्विक स्तर पर प्रचलित विचारों व शोध सामग्री से परिचित होते रहे हैं।

पढ़ना और सीखना क्यों महत्वपूर्ण है?

पढ़ने की जरूरत क्यों है? इसके साथ ही साथ सीखना एक पाठक के लिए क्यों मायने रखता है, इसी सवाल का जवाब देने के लिए एक किताब से कुछ हिस्से आपके साथ शेयर कर रहे हैं। यह किताब डेवी मिलर ने लिखी है, इस किताब का नाम है रीडिंग विथ मीनिंग (Reading with meaning.)।  इस किताब के एक चैप्टर के मुताबिक पढ़ने के प्रमुख फायदे इस प्रकार हैंः

  • पाठक कुशलता हासिल करने (स्मार्ट बनने) के लिए लगातार पढ़ना जारी रखते हैं
  • पढ़ने से हमें स्वयं, अन्य लोगों और दुनिया के बारे में एक समझ बनाने में मदद मिलती है
  • पढ़ना एक ऐसा काम है, जो हम स्वतंत्र रूप से कर सकते हैं
  • पढ़ने में कुशलता हासिल करने या स्मार्ट बनने की प्रक्रिया में मेहनत, प्रयास और प्रतिबद्धता तीनों बातें शामिल हैं
  • बतौर पाठक अपने लिए एक लक्ष्य तय करना और उसे हासिल करना बेहद जरूरी है
  • बच्चों को भी पता होना चाहिए कि पाठक, पढ़ते, लिखते और सोचते हैं। इसके साथ ही साथ नई चीज़ों को उत्साह के साथ सीखने के लिए तत्पर रहते हैं
  • इसके साथ ही साथ पढ़ना हमें दुनिया के ऐसे नागरिक के रूप में विकसित करता है जो समस्याओं का सामना या मुकाबला करते हैं। अपने पास उपलब्ध संसाधनों से दुनिया की समस्याओं के समाधान में योगदान भी करते हैं।
  • हमें बच्चों, किशोरों और युवाओं के साथ-साथ वयस्कों को भी यह बताने की जरूरत है कि सीखना आजीवन चलने वाली प्रक्रिया है। मनोविज्ञान की एक परिभाषा भी इस बात का समर्थन करती है, जिसमें कहा गया है कि सीखना पूर्व प्रशिक्षण व अनुभव के कारण हमारे व्यवहार में तुलनात्मक रूप से स्थायी परिवर्तन है।

उम्मीद है कि डेबी मिलर की रीडिंग विथ मीनिंग को पढ़ने के दौरान लिए गये नोट्स बतौर रीडर या पाठक आपके लिए उपयोगी है। इन विचारों को समझना और उस पर चर्चा के माध्यम से साझी समझ का निर्माण करना शिक्षा के क्षेत्र में काम करने वाले सभी लोगों व सामान्य अभिभावकों के लिए भी महत्वपूर्ण है।

 

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