‘बाल केंद्रित कक्षा’ के मायने क्या हैं?
बाल केंद्रित कक्षाओं में शिक्षण की प्रक्रिया और शिक्षकों के संवाद का तरीका ऐसा होता है जिसमें बच्चों को भागीदारी और सहभागिता के ज्यादा अवसर मिलते हैं। ऐसी कक्षाओं में अध्यापक बच्चों को सीखने के अवसर प्रदान करते हैं और बच्चों के सीखने को दिशा प्रदान करते हैं। बाल केंद्रित कक्षा में बच्चे विभिन्न तरह की गतिविधियों में क्रियाशील होकर जुड़े रहते हैं। अध्यापक बच्चों के लिए अधिगम की ऐसी स्थितियां बनाते हैं जहाँ बच्चों को खुद से अवलोकन करने, खोजबीन करने, प्रश्न करने, अनुभवों का निर्माण करने और विभिन्न अवधारणाओं के प्रति अपनी समझ बनाने के अवसर मिलते हैं।
पढ़िएः अध्यापक केंद्रित कक्षा कैसी होती है?
कैसा होता है बाल केंद्रित कक्षा का माहौल?
ऐसे माहौल में बच्चे स्वयं ही ज्ञान का निर्माण करते हैं जो उनके विद्यालय और अपने आसपास के परिवेशीय अनुभवों पर आधारित होता है। बच्चे ऐसी कक्षाओं में व्यक्तिगत रूप से भी कार्य करते हैं और समूह में होने वाली चर्चाओं में भी शामिल होते हैं। एक-दूसरे के साथ अपने विचारों का आदान-प्रदान करते हैं, अपने अनुभव बाँटते हैं और एक-दूसरे के विचारों की अभिव्यक्ति का आदर करना भी सीखते हैं। बाल केंद्रित कक्षाओं में बैठक व्यवस्था भी लचीली होती है और कक्षा में संचालित होने वाली गतिविधियों के अनुरूप बदलती रहती है। बच्चों के द्वारा खुद से विभिन्न गतिविधियों में तल्लीनता वाली स्थिति में शिक्षक/शिक्षिका सुगमकर्ता वाली भूमिका में होते हैं। इस तरह की स्थितियों में एक बाल केंद्रित कक्षा का वातावरण निर्मित होता है।
बाल केन्द्रित शिक्षा अर्थात ऐसी शिक्षा जिसका केन्द्र विन्दु बालक हो