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दिल्ली के सरकारी स्कूलों में ‘मिशन बुनियाद’ से बच्चों के सीखने पर पड़ा सकारात्मक असर

mission-buniyad-nभाषा और गणित में बच्चों की बुनियादी दक्षताओं में सुधार की प्रतिबद्धता को ध्यान में रखते हुए दिल्ली सरकार द्वारा मिशन बुनियाद की शुरुआत की गई। इसके कारण तीसरी से आठवीं तक के बच्चों के सीखने की क्षमताओं में सुधार हुआ है और बच्चे आत्मविश्वास के साथ भाषा व गणित की कक्षाओं में बेहतर प्रदर्शन करने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। मिशन बुनियाद के सफलता की कहानी पढ़िए शिक्षक साथी सोनू कश्यप की कलम से।

दिल्ली सरकार के शिक्षा विभाग द्वारा समय – समय पर ऐसे शैक्षिक कार्यक्रम तैयार किये जाते रहे है , जिसमें छात्रों का विकास हो सके , उन्ही कार्यक्रम में से एक कार्यक्रम की आज हम बात करेंगे , जिसका नाम है ” मिशन बुनियाद “। यह एक ऐसा क्रांतिकारी कदम रहा , जिसने छात्रों की भाषा व गणित से संबंधित समस्याओं को व्यापक रुप से चिन्हित करके निदान का कार्य किया । यह एक कार्यक्रम न होकर एक मिशन बना जिसने शिक्षा सुधारने में महत्वपूर्ण योगदान दिया ।

मिशन बुनियाद की शुरूआत कैसे हुई?

WhatsApp Image 2020-04-14 at 1.41.25 PMवर्षों से शिक्षा में एक व्यवस्था चली आ रही थी कि जो विद्यार्थी अच्छे नम्बर ला रहे हैं , उन्हें पास करके अगली कक्षा में भेज दिया जाये तथा जो बच्चे न्यूनतम अंक नहीं पा रहे है उनको उसी कक्षा में रोक दिया जाये । इसका परिणाम यह हुआ कि कम नंबर वाले छात्र धीरे -धीरे शिक्षा व्यवस्था से हटते गये तथा बड़ी संख्या में छात्र विद्यालय छोड़ने लगे तथा शिक्षा से वंचित होने लगे। जिससे शिक्षित भारत का सपना अधूरा लगने लगा।

WhatsApp Image 2020-04-14 at 1.41.26 PMइस अवरोधन को रोकने तथा शिक्षा का प्रत्येक बच्चे तक पहुँचाने के लिए भारत सरकार द्वारा शिक्षा का अधिकार कानून लाया गया जिसके तहत ” मुफ्त तथा अनिवार्य शिक्षा ” पर बल दिया गया तथा कक्षा एक से आठवीं तक फेल न करने की नीति लागू की गयी ताकि छात्रों को एक भय मुक्त तथा प्रतियोगिता रहित शिक्षा प्रदान की जा सके । कहते है कि सिक्के के दो पहलू होते हैं उसी तरह हर नीति के लाभ हानि होते है वही इस व्यवस्था के साथ हुआ ।

फेल न करने की नीति से विद्यालयों में छात्रों का नामांकन तथा उपस्थिति तो बड़ी परंतु शैक्षिक गुणवत्ता का ह्रास हुआ। इसका एक असर यह भी हुआ कि छात्रों ने फेल न होने के भय से शिक्षा को गंभीरता से लेना बंद कर दिया। इसके परिणाम स्वरूप छात्रों का सामान्य ज्ञान उनकी वर्तमान कक्षा स्तर के विपरीत पाया गया। इसके साथ ही पाया गया कि कुछ छात्र शब्द पहचान तथा अंक पहचान भी नहीं कर पा रहे है अतः इन बच्चों का अधिगम स्तर सुनिश्चित करने के लिए दिल्ली सरकार के शिक्षा विभाग द्वारा एक कार्यक्रम चलाया जिसे बुनियाद ,पूर्ववत में चुनौती तथा वर्तमान में मिशन बुनियाद का नाम दिया ।

हर बच्चे को सीखने की प्रक्रिया में शामिल करना

मिशन बुनियाद कार्यक्रम दिल्ली सरकार के शिक्षा विभाग द्वारा शैक्षिक सुधार के लिए वर्ष 2018 – 2019 में शुरू किया गया , जिसका पूर्ववत नाम ‘ चुनौती ‘ कार्यक्रम था। चुनौती कार्यक्रम शुरू करने से पहले शिक्षकों ने पाया कि एक कक्षा में अलग-अलग क्षमता वाले बच्चे हैं। इन सभी को तकनीक के माध्यम से शिक्षा प्रदान करना असंभव होगा , अगर एक तकनीक का प्रयोग करेगे तो सभी छात्रों को फायदा नहीं होगा।

WhatsApp Image 2020-04-14 at 1.41.26 PM(1)कमजोर छात्रों को उनके हाल पर नहीं छोड़ा जा सकता । उनको साथ लेकर चलना जरूरी था इसलिए इस कार्यक्रम में फैसला किया गया कि छात्रों को उनके ज्ञान, क्षमता तथा आवश्यकता के अनुसार अलग – अलग करना जरूरी है जिसके लिए , हिन्दी , अंग्रेजी तथा गणित के टूल तैयार किये गये , जिनसे पता किया जा सके कौन से छात्र किस स्थिति में अच्छे से पढ़ सकते है इस तरह तीन समूह तैयार हुए प्रतिभा, निष्ठा और नव निष्ठा । इस निष्ठा के छात्र थे जिन पर वास्तव में कार्य किया जाना था ।

छात्रो को वर्गों के अनुसार पढ़ाया गया परंतु ‘ चुनौती ‘ कार्यक्रम की कुछ कमियां पाए जाने पर इसे दुबारा नए तरीके से तैयार किया गया । और अब क्लास 6 की जगह क्लास 3 से शुरू किया गया तथा विशेष सामाग्री के साथ मिशन बुनियाद का नाम दिया गया । मिशन बुनियाद ‘ को 2 अप्रैल से 30 जून तक चलाने की तैयारी की गयी जिसे 2 भागों में बाटा गया । ग्रीष्मकालीन छुट्टियों से पहले तथा उसके दौरान छात्रों को 2 समूह में बांटा गया । निष्ठा तथा नव निष्ठा , जिनको उनकी आवश्यकता अनुसार पढ़ाया जाना था । निष्ठा के छात्र जहां शब्द तथा वाक्य को तेजी तथा शुद्ध रूप से पढ़ने में असमर्थ थे , वहीं नव निष्ठा के छात्र वर्ण तथा शब्द भी नहीं पढ़ पाते थे न ही घटा व भाग कर पाते थे । अतः इनकी आवश्यकता अनुसार शिक्षा गतिविधि शुरू हुई ।

मिशन बुनियाद के दौरान होने वाली गतिविधियाँ

मिशन बुनियाद के दौरान सिर्फ शिक्षा पर ध्यान न देकर छात्रों के समग्र विकास पर बल दिया गया । वर्ण तथा शब्दों की पहचान कराने के लिए दिल्ली सरकार के अनुभवी शिक्षको ने अपना सर्वश्रेष्ठ शिक्षण दिया , छात्रों को खेल – खेल में वर्ण का परिचय कराया तथा उनसे किस प्रकार का वाक्य बनाये जा सकते है , उसके बारे में छात्रों का मार्गदर्शन किया गया । छात्र खेल – खेल में अंक की पहचान तथा शब्द की पहचान करने लगे तथा जमा , घटा , तथा भाग को आसानी से करने लगे।

WhatsApp Image 2020-04-14 at 1.41.30 PMइसके साथ-साथ सृजनात्मकता का विकास करने तथा आत्मविश्वास को बढ़ाने वाली गतिविधियाँ आयोजित की गयी जिसमें भाषण , वाद-विवाद प्रतियोगिता , किवज़ इत्यादि । साथ ही कम्प्यूटर के माध्यम से छात्रों का ज्ञान वर्धन किया गया । साथ ही योग व खेलों में बच्चों के शारीरिक विकास पर बल दिया गया । साथ ही छात्रों को प्रत्येक दिन मिलने वाला अल्पाहार उनकी सुखद शैक्षिक यात्रा का महत्वपूर्ण कारक रहा ।

कार्यक्रम की सफलता

मिशन बुनियाद कार्यक्रम पर कई लोगों को संदेह था की यह नया प्रयोग सफल होगा कि नही परंतु इस मिशन को सफलता उम्मीद से ज्यादा प्राप्त हुई कार्यक्रम की सफलता यह रही कि जिन छुटियों में छात्र गाँव जाते थे , उनमें छात्रों ने पढ़ना – लिखना मिशन बुनियाद के अन्तर्गत सीखा। छात्रों ने माना कि मिशन बुनियाद से उन्हें बहुत फायदा हुआ। जिन शब्दों को  बच्चे अटक – अटक कर पढ़ रहे थे , अब उन्हें धारा प्रवाह तरीके से पढ़ने लगे

जो छात्र अंक पहचान नहीं कर पा रहे थे , अब वे जोड़ना ,घटाना, गुणा और भाग करना भी आसानी करने लगे। इस कार्यक्रम की सफलता के पीछे अगर कोई आधार स्तम्भ था , तो वह था हमारा दिल्ली सरकार का शिक्षक समाज जिसने अपनी छुटियों की परवाह न करते हुए अपने शिक्षण कौशल का प्रयोग कर, उन छात्रों को पढ़ना-लिखना सिखाया जिनके बारे में लोगों की धारणा थी कि वे कभी भी नहीं सीख सकते।

WhatsApp Image 2020-04-14 at 1.41.29 PMइस कार्यक्रम को चलाने के लिए दिल्ली शिक्षा विभाग विशेष तारीफ के काबिल है ,साथ ही वे अभिभावक जिन्होंने विश्वास किया कि इन छुटियों में उनके बच्चे जरूर कुछ सुधार करेंगे और उनका यह विश्वास परिणाम में दिखा कि अप्रैल की छात्रों की समस्या जुलाई आते-आते बेहद कम हो गई या समाप्त हो गयी।

इस कार्यक्रम की सफलता को देखते हुए मुझे विश्वास हो गया है कि शिक्षा विभाग और भी शैक्षिक सुधार के कार्यक्रम लायेगा तथा दिल्ली की शिक्षा व्यवस्था भारत ही नहीं विश्व स्तर पर अन्य लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत के रूप में कार्य करेगी ।

(लेखक परिचय -सोनू कश्यप दिल्ली सरकार के विद्यालय में प्रवक्ता राजनीति विज्ञान के पद पर कार्यरत हैं। आपने अपने स्कूल में TDC (Teacher Development Coordinator)) के रूप में कार्य करके अपने शिक्षक साथियो के साथ अपने स्कूल में मिशन बुनियाद को सफल बनाने के लिए सक्रिय योगदान दिया है। मिशन बुनियाद का यह लेख आपको कैसा लगा? जरूर साझा करिये अपनी राय टिप्पणी लिखकर)

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