शिक्षा संवाद: ‘शिक्षक निराश न हों, संवाद करें तो समस्याओं का समाधान संभव है’
मध्यप्रदेश के जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (DIET) हरदा के प्राचार्य के मार्गदर्शन में शिक्षकों के लिए एक परिचर्चा का आयोजन 26 मई 2020 को रखा गया। इसमें बतौर मुख्य वक़्ता एजुकेशन मिरर के संस्थापक वृजेश सिंह ने प्रतिभाग किया। ज़ूम पर आयोजित इस परिचर्चा में 35 शिक्षकों ने प्रतिभाग किया और राजेश सोलंकी ने परिचय सत्र का नेतृत्व किया।उन्होंने एजुकेशन मिरर के 2015 से शुरू होने में वृजेश सिंह को प्रोफेसर कृष्ण कुमार से मिले प्रोत्साहन व प्रेरणा का भी जिक्र परिचय सत्र के दौरान किया।
आज की परिचर्चा के दौरान वृजेश सिंह ने कहा, “शिक्षकों को प्रोत्साहित करने वाला माहौल मिले और शिक्षण की अकादमिक स्वतंत्रता। इसके साथ ही साथ स्वयं को निरंतर निखारने और सीखने की जिम्मेदारी एक शिक्षक को स्वयं लेनी होगी। तभी शिक्षा के क्षेत्र में गुणात्मक बदलाव संभव है।”
शिक्षक खुद सीखते रहें
उन्होंने आगे कहा, “जब शिक्षक सीख रहे होंगे और वे स्वयं रचनात्मक होंगे तो बच्चों में भी इन खूबियों का स्वाभाविक ढंग से विकास और विस्तार होगा। एक संदेश जो शिक्षक साथियों के लिए था कि एक शिक्षक या शिक्षिका जब पहली बार सरकारी नौकरी में आते हैं तो उनके सपने टूटते हैं। उनको निराशा होती है। उनको बीएड और बीटीसी की पढ़ाई के दौरान सीखे हुए सबक निरर्थक लगने लगते हैं कि 40-50 बच्चों या 100 बच्चों को एक साथ कैसे संभालें। हर बच्चे तक कैसे पहुंचें। इस सवाल या परिस्थिति पर मेरा यही कहना है कि निराश न हों, संवाद करें और एक प्रोफेशनल लर्निंग कम्युनिटी (पीएलसी) की तरह अपने अनुभवों, चुनौतियों व समाधान के तरीकों व बेस्ट प्रेक्टिसेज़ को शेयर करें, समाधान मुमकिन है। इसलिए उम्मीदों को पंख लगाकर उड़ने दें। जिज्ञासा और उसके समाधान के लिए होने वाले प्रयास ही हमारे पंख हैं।”
जब हम विद्यालय में एक साझे उद्देश्य के साथ मिलकर काम करते हैं तो एक टीम बनती है, जो आपसी मतभेदों को परे रखकर उस लक्ष्य को हासिल करने की कोशिश करती है जो बतौर शिक्षक उनके सामने होता है।
आज की चर्चा को लेकर डाइट हरदा से मनोज जी ने कहा, “एजुकेशन मिरर के माध्यम से शिक्षकों के लेखन कौशल का विकास करने को प्रोत्साहन मिला। बच्चों में रचनात्मक अभिव्यक्ति की क्षमता कैसे विकसित हो इसको लेकर काफी सारे विचार निकलकर आए, उम्मीद है कि शिक्षक इस परिचर्चा के दौरान मिले विचारों से लाभान्वित होंगे और उसे अपने-अपने स्तर पर उपयोग में भी लाएंगे। शिक्षक को शैक्षणिक और प्रशासनिक दायित्वों के साथ तालमेल बैठाते हुए अपने काम को सुगम बनाना है ताकि बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल सके और क्लासरूम में शिक्षण की प्रक्रिया ज्यादा भागीदारीपूर्ण हो सके।”
एजुकेशन मिरर से कक्षा चौथी के छात्र (आरव सबसे कम उम्र के लेखक हैं) से लेकर शोध छात्र व प्रोफेसर भी जुड़े हुए हैं। आप समय-समय पर इन सभी के लेख एजुकेशन मिरर पर पढ़ते रहते हैं। हाल ही में उत्तराखण्ड के नानकमत्ता पब्लिक स्कूल के बच्चों ने रचनात्मक लेखन में काफी बेहतरीन प्रयास है, उनके लिखे हुए यात्रा वृत्तांत, कहानी व किताबों की समीक्षा आप एजुकेशन मिरर पर पढ़ सकते हैं।
शिक्षक साथियों की राय
एक शिक्षक ने कहा, “आज की ज़ूम चर्चा अपने विषय “सिमटती रचनाधर्मिता” में हमने शिक्षकों और बच्चों में रचनात्मक प्रवृत्ति को प्रोत्साहित करने और उन्हें आगे कैसे बढ़ाएं इसको लेकर अपनी एक समझ बनाई। शिक्षक रचनाशील होकर अपने शिक्षण कार्य को किस प्रकार प्रभावी बना सकते हैं इस विषय पर वार्ता के दौरान से विस्तार से जाना। सरकारी शिक्षण संस्थाओं में अवलोकन करते समय व्यक्ति विशेष की रचनात्मक और सकारात्मक भूमिका हो। शिक्षकों में सीखने जिज्ञासा हो। उनमें स्वयं पर आत्मविश्वास हो और अपनी क्षमताओं को लगातार अपडेट करने की प्रवृत्ति विकसित हो। स्वतंत्र लेखन हेतु बच्चों को प्रेरित करना और मौका देना जरूरी है। शिक्षक बच्चों को विभिन्न गतिविधियों और अवसरों के माध्यम से स्वतंत्र पठन, लेखन, संवाद व विमर्श में भागीदारी का अवसर देकर बच्चों की रचनाशीलता व उनकी प्रतिभा को निखार सकता हैं। हमने शिक्षा से संबंधित लेखों व अनुभवों की जानकारी के लिए एक नए प्लेटफार्म एजुकेशन मिरर के बारे में भी जाना।”
एक अन्य शिक्षक साथी ने कहा, “एजुकेशन मिरर से वृजेश जी ने हम शिक्षकों के प्रश्नों का समाधान बहुत ही अच्छे ढंग से किया। हमारे अंदर एक जिज्ञासा पैदा की है अपनी प्रतिभा को निखारने की। यह सत्र बहुत ही अच्छा रहा। हमें इनको सुनकर एक दिशा मिली है कि कैसे हम अपने बच्चों को रचनात्मक कार्य करने के लिए प्रेरित कर सकते हैं।”
मध्यप्रदेश के हरदा जिले की प्रतिभाशाली शिक्षिका दुर्गा ठाकरे की कहानी भी विगत दिनों एजुकेशन मिरर में प्रकाशित हुई है। इसका भी जिक्र आज की परिचर्चा में किया गया। अंत में डाइट व्याख्याता एस. के. पाटिल जी द्वारा सभी सम्मिलित जनों का आभार व्यक्त किया गया।
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सही कहा निराश न हो, पर संवाद कब होगा बिना भय का शिक्षक अपना काम कब करेंगे। डंडा तो जानवरो को दिखाया जाता है न, हम अपना दायित्व समझे। हा जो काम करता है उसे प्रोत्साहित करना चाहिए।
Completely agree with the discussed insights. Rachnatmakta ke bina swaym ka sikhna bahut dino tak utsahit nahi kar sakta. Samvad aur pratibhag bahut jaruri hain.
Meaningful and necessary for teachers
Nice to read this piece of writing which encourages teaching community in the time of crisis. It also covers the journey and efforts of Education Mirror to bring quality in education. All the best for future endeavours.
वाह, बहुत सकारात्मक व स्वागत योग्य कदम सर