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पहली क्लास का टॉपर कौन है?

भारत की प्राथमिक शिक्षा का विमर्श भी टॉपर और ग्रेडिंग वाली प्रणाली से जूझता रहा है। समय-समय पर तरह-तरह के असेसमेंट की वकालत की जाती है कि ताकि बच्चों को ओवरऑल मूल्यांकन संभव हो सके। केवल परीक्षा में मिलने वाले अंकों के आधार पर ही उसका मूल्यांकन न किया जाये।

बच्चे, पढ़ना सीखना, बच्चे का शब्द भण्डार कैसे बनता हैप्राथमिक कक्षाओं में बच्चे के सीखने और उनकी जिज्ञासा को बढ़ावा देने पर ख़ास ध्यान देना चाहिए। अगर बच्चा सीख रहा है। नये कांसेप्ट को समझ रहा है तो वह टॉपर है। वह शीर्ष पर है क्योंकि उसे किसी से प्रतिस्पर्धा करने की कोई जरूरत नहीं है। उसी जिज्ञासा और सीखने की ललक उसे खुद आगे बढ़ने का रास्ता देगी।

अगर पहली क्लास के सारे बच्चों को बारी-बारी से भागीदारी का मौका मिले तो क्लास में उनका उत्साह बना रहता है। अगर कक्षा में बच्चों की भागीदारी का कोई निश्चित पैटर्न तय हो तो जिन बच्चों को अपनी बात कहने-बताने का मौका नहीं मिलता, वे हतोत्साहित महसूस करते हैं। आज पहली क्लास के लगभग सारे बच्चों को क्लास में भागीदारी करते हुए देखने का मौका मिला।

सभी बच्चों को भागीदारी का मौका दें

उन बच्चों को एक से अधिक बार भागीदारी का मौका मिला जो पहली बार उत्साह के साथ हिस्सा ले रहे थे। ऐसे एक कमज़ोर बच्चों को बाकी बच्चों के साथ अपनी मौजूदगी दर्ज कराने के लिए आगे आने का प्रयास अच्छा लगा। कमज़ोर बच्चों को साथ-साथ पढ़ने का मौका देते हुए देखने का भी अवसर मिला। इस दौरान पता चला कि वे बच्चे एक-दूसरे को सेल्फ-करेक्ट कर रहे हैं। इससे दोनों बच्चों का सीखना हो रहा था। किसी भी बच्चे को ऐसा नहीं महसूस हो रहा था कि वह पीछे हैं।

क्लास के टॉपर के पीछे रहने की क्या वजह है? उसने चीज़ों को समझने से ज्यादा चीज़ों को रटने के ऊपर भरोसा किया। उसकी शिक्षिकाएं कहती हैं कि हमने भी पढ़ना तो बारहखड़ी के माध्यम से ही सीखा है। मेरा जवाब था कि मैंने तो बारहखड़ी से पढ़ना नहीं सीखा है। शायद इसीलिए मैं रटने से ज्यादा चीज़ों को समझने और कांसेप्ट बनाने वाले तरीके पर ज्यादा भरोसा करता हूँ।

क्लास का टॉपर कौन है?

अन्य क्लाास के बच्चे पूछ रहे थे कि पहली क्लास में कौन सा बच्चा पढ़ने में सबसे तेज़ है। मैंने जवाब दिया कि सात-आठ बच्चे सीखने के मामले में एक-दूसरे से होड़ कर रहे हैं। मगर यह कहना कि कौन सा बच्चा सबसे तेज़ है बहुत ही मुश्किल है। हाँ, सभी बच्चे तेज़ी से सीख रहे हैं और ऐसे में वे ख़ुद को ही पीछे छोड़ रहे हैं। यह बात बड़ी आसानी से कही जा सकती है।

एक समय के बाद हो सकता है कि क्लास के बारे में ऐसा कोई निष्कर्ष निकाला जाये, मगर तब भी बात वहीं आएगी कि कौन सा बच्चा समझ के साथ धाराप्रवाह ढंग से पढ़ रहा है। अगर कोई बच्चा पढ़ पा रहा है। मगर चीज़ों को समझ नहीं रहा है तो वह निश्चिततौर पर समझकर पढ़ने वाले बच्चे से सीखने के मामले में थोड़ा पीछे कहा जायेगा, मगर इसलिए उसका महत्व बाकी बच्चों से कम हो जाता है। ऐसे किसी सिद्धांत से मेरी सहमति नहीं है।

किसी बच्चे का सतत सीखते रहना बहुत मायने रखता है। अगर ग़ौर से देखें तो सीखना एक प्रवाह की बात करता है। गति की बात करता है, जहां टॉपर जैसे किसी ठहरे हुए विचार के लिए कोई स्कोप और स्पेश नहीं होता।

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