‘ग्रोथ माइंडसेट’ क्या है?

कैरेल ड्वेक विश्व प्रसिद्ध मनोविज्ञानी और स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी की प्रोफ़ेसर हैं।
स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी की प्रोफ़ेसर कैरेल ड्वेक ने मनोविज्ञान से जुड़ी कई किताबें लिखी हैं। उनकी एक किताब का नाम है ‘माइंडसेट’। इस किताब में वे ‘ग्रोथ माइंडसेट‘ का विचार रखते हुए कहती हैं, “हम अपने मस्तिष्क के सीखने और समस्याओं का समाधान करने की क्षमता बढ़ा सकते हैं।”
वे कहती हैं, “फिक्स्ड माइंडसेट रखने वाले लोग मानते हैं कि बुद्धि और रचनात्मकता स्थायी हैं, इन्हें बदला नहीं जा सकता। ऐसे लोग असफलता से बचने की कोशिश करते हैं, जबकि ग्रोथ माइंडसेट रखने वाले लोग चुनौती और हार को भी आगे बढ़ने का अवसर मानते हैं।”
इस विचार ने शिक्षा के साथ-साथ विभिन्न क्षेत्रों में लोगों के सोचने और चीज़ों को देखने का नज़रिया बदलने में क्रांतिकारी भूमिका निभाई है।
बुद्धिमत्ता और प्रतिभा सफलता की गारंटी नहीं होते। सफलता की राह में उनकी क्या भूमिका होती है? इसी सवाल के बारे में सोचने के लिए प्रेरित करती है कैरेल ड्वेक की किताब ‘माइंडसेट’। इस किताब में किसी की तारीफ़ करने के परंपरागत तरीके पर भी सवाल खड़ा किया गया है। इसके अनुसार हमें किसी की बुद्धिमत्ता और प्रतिभा की तारीफ करने की बजाय सामने वाली की कोशिशों और प्रयासों को रेखांकित करना चाहिए। इससे उस व्यक्ति में आत्म-सम्मान का विकास होगा।
इस विचार को क्लासरूम की प्रक्रिया में कैसे समाहित करें ताकि बच्चों का सर्वांगीण विकास संभव हो सके? आमतौर पर हम सुनते हैं कि बच्चे तीन तरह के होते हैं। एक प्रतिभाशाली बच्चे। दूसरे मंदबुद्धि बच्चे और तीसरे ठीक-ठाक या सामान्य बच्चे। वास्तव में बच्चों की ऐसी कोई निश्चित श्रेणी होती ही नहीं। क्योंकि हर बच्चे के सीखने-समझने और चीज़ों के बारे में अपनी समझ के निर्माण का तरीका भिन्न-भिन्न होता है। ऐसे में एक शिक्षक के सामने चुनौती होती है कि वह अपने पढ़ाने के तरीके में कैसे-कैसे अलग-अलग बच्चों की जरूरतों के अनुरूप बना सकें।
ग्रोथ माइंडसेट क्या है?
‘माइंडसेट’ हमारी अपने बारे में स्वयं का सिद्धांत (सेल्फ थ्योरी) या एक राय है। उदाहरण के तौर पर अगर किसी विद्यालय में किसी भी विषय के शिक्षक को लगता है कि वे बहुत प्रतिभाशाली और बुद्धिमान हैैं। ऐसे में अगर गणित के शिक्षक अपने विषय को बच्चों को समझाने के लिए ज्यादा मेहनत या प्रयास नहीं करते तो ऐसी स्थिति को ‘फिक्स माइंडसेट’ कहते हैं। आमतौर पर ऐसी परिस्थित में शिक्षक न सीखने का सारा दोष बच्चों के ऊपर डाल देते हैं कि ये बच्चे जिस तरह के परिवार से आते हैं वहां कोई माहौल नहीं है। ये बच्चे सीख नहीं सकते। इन बच्चों में सीखने की क्षमता का अभाव है।
इसके विपरीत किसी विद्यालय में एक ऐसे शिक्षक भी हो सकते हैं जो बच्चों के सीखने की प्रगति को एक प्रक्रिया के रूप में देखते हैं। बच्चे की कोशिश और मेहनत के बारे में बच्चों को बताते हैं।
वे किसी बच्चे को ‘पढ़ाई में कमज़ोर’ मानकर हतोत्साहित करने की बजाय बच्चे द्वारा किए गये अबतक के प्रयासों की सराहन करते हैं। इसके साथ ही और बेहतर करने के लिए प्रेरित करते हैं। साथ ही खुद के पढ़ाने के तरीके में बच्चों की जरूरत के अनुरूप बदलाव करने के लिए विचार (रिफलेक्शन) करते हैं। ऐसे शिक्षक बच्चों और खुद की क्षमता पर भरोसा रखते हैं। ऐसे माहौल का निर्माण करने वाले शिक्षक ‘ग्रोथ माइंडसेट’ का उदाहरण हैं।
जहाँ पर कोई व्यक्ति लोगों या खुद के बारे में राय रखता है कि या तो वह बुद्धिमान है या फिर बेवकूफ है। यह माइंडसेट का सबसे आसान उदाहरण है। ऐसी मानसिकता का हमारे जीवन के विभिन्न क्षेत्रों पर गहरा असर पड़ता है। चाहें वह किसी विषय को सीखने का मसला हो, या फिर किसी प्रोफ़ेशन में सफल होने का मामला हो या लोगों के साथ बेहतर रिश्ते बनाने का मसला हो। अगली पोस्ट में पढ़िए ग्रोथ माइंडसेट का विकास कैसे करें?
(एजुकेशन मिरर की इस पोस्ट को पढ़ने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद। इस पोस्ट के बारे में अपनी राय साझा करिए। अपने नाम के साथ अपनी टिप्पणी कमेंट बॉक्स में लिख सकते हैं। शिक्षा से जुड़े कोई सवाल, सुझाव या लेख आपके पास हों तो साझा करें। हम उनको एजुकेशन मिरर पर प्रकाशित करेंगे ताकि अन्य शिक्षक साथी भी इससे लाभान्वित हो सकें।)
यह पोस्ट पढ़ने के लिए बहुत-बहुत शुक्रिया जितेंद्र भाई। हमारी-आपकी चर्चाओं में यह सिद्धांत बहुत से पहले मौजूद रहा है। भले ही उसके लिए हम इस ख़ास शब्दावली का इस्तेमाल न करते रहे हों। जब हम शिक्षकों के बच्चों की क्षमता पर भरोसा करने, उनके सीखने के प्रयासों और सफलताओं को प्रोत्साहित कर रहे थे तो हम कैरेल ड्वेक की थ्योरी के उदाहरणों को जी रहे थे। इस थ्योरी को पढ़ने के बहाने क्लासरूम से जुड़े अनुभवों पर फिर से विचार करने का मौका मिला। दूसरे पोस्ट की लिंक साझा है आपसे देख लीजिए
https://educationmirror.org/2017/05/13/how-to-develop-growth-mindset-in-students-indian-context/
बृजेश भाई बहुत अच्छा लगा आपकी यह पोस्ट पढ़कर कि ग्रोथ माइंडसेट क्या है? परन्तु इसमें नीचे दिए गए ऑप्शन ‘ग्रोथ माइंड सेट का विकास कैसे करें’ इस पर क्लिक करने पर भी वही पोस्ट खुल रही है कि ग्रोथ माइंडसेट क्या है!
अगर इसमें कुछ कर सको तो अच्छा होगा।