मनोविज्ञानः वाइगाट्सकी के विचार जो शिक्षा में क्रांतिकारी बदलाव ला सकते हैं
लिव सिमानोविच वाइगाट्सकी एक रूसी मनोवैज्ञानिक थे, जिन्होंने बच्चों और समाज के बुजुर्ग जानकार सदस्यों के बीच मिल-जुलकर होने वाले संवाद की भूमिका पर बल दिया। उनके अनुसार सभी बौद्धिक क्रियाएं पहले बाहरी दुनिया में घटित होती हैं। बड़ों के साथ बातचीत के इन अवसरों द्वारा बच्चे अपने समुदाय की संस्कृति (सोचने और व्यवहार करने के तरीके) को सीखते हैं।
वाइगाट्सकी का सामाजिक-सांस्कृतिक दृष्टिकोण संज्ञानात्मक विकास का एक रोचक विश्लेषण करता है। वाइगास्टकी की लोकप्रियता अपने अंतरीकरण के सिद्धांत तथा संभावित विकास क्षेत्र (जोन ऑफ़ प्रॉक्सिमल डेवेलपमेंट) के कारण है।
अंतरीकरण का सिद्धांत
वाइगाट्सकी का मानना था कि विकास वातावरण में शुरू होता है, विशेषकर सामाजिक वातावरण में। इसमें इंसान से बाहर होने वाले अवलोकन को अपने भीतर आत्मसात करके सीखता है। उदाहरण के तौर पर छोटे बच्चे कक्षा में अपने शिक्षक की तरह कुर्सी पर बैठकर अन्य बच्चों को चुपचाप बैठकर पढ़ने और आपस में बात न करने के निर्देश देने का अभिनय करते हैं। यानि बच्चे दूसरे लोगों को घर पर, दोस्तों के बीच तथा स्कूल में तरह-तरह के कामों को करता हुआ देखते हैं और उसी तरह व्यवहार करना सीखते हैं।

एक सत्र में कहानी सुनते हुए बच्चे।
बोला कैसे जाता है? यह अंतरीकरण का एक अच्छा उदाहरण है। क्या आपने कभी सोचा है कि ग्रामीण अंचल में रहने वाला एक बच्चा गरासिया, अवधी, भोजपुरी, मारवाड़ी और मराठी क्यों अपनी-अपनी मातृभाषा में ही बोलना सीखते हैं। जैसे हिंदी भाषी क्षेत्र में बच्चे देखते हैं कि माता-पिता किस तरह विभिन्न ध्वनियों का उच्चारण करते हैं। बच्चे इन ध्वनियों को सीख लेते हैं और धीरे-धीरे बच्चे अपने माता-पिता की तरह हिंदी बोलना शुरू कर देते हैं। इस तरह बच्चे अपने माता-पिता की भाषा को आत्मसात कर लेते हैं। बाहर (वातावरण) से अन्दर की ओर (बच्चे के आतंरिक स्व) की दिशा में होने वाले विकास को वाइगाट्सकी ने अंतरीकरण (internalisation) कहा है।
संभावित विकास का क्षेत्र
संभावित विकास के क्षेत्र की अवधारणा वाइगाट्सकी के सबसे महत्वपूर्ण योगदान में से एक है। संभावित विकास का क्षेत्र उस अंतर को रेखांकित करता है जो एक सीखने वाला खुद से कर सकता है और दूसरे की मदद से कर सकता है।
वाइगाट्सकी कहते हैं कि कोई बच्चा बड़ों के उदाहरण को देखता है और धीरे-धीरे कुछ कामों को बग़ैर बड़ों की मदद के करना सीख जाता है। उदाहरण के तौर पर पहली कक्षा के बच्चों ने भाषा के कालांश में शिक्षक की मदद से किसी शब्द की पहली आवाज़ को पहचानना सीखा और फिर बाद में उन्होंने उन शब्दों की पहली आवाज़ को भी पहचानना सीख लिया, जो उनको सिखाये या बताये नहीं गये थे।

सीखने के संभावित क्षेत्र को संक्षेप में ZPD भी कहा जाता है।
इस संप्रत्यय के बारे में वाइगाट्सकी कहते हैं कि खुद से समस्या समाधान की क्षमता द्वारा होने वाले वास्तविक विकास के स्तर और किसी बड़े व्यक्ति के निर्देशन में होने वाले विकास के बीच का अंतर ही संभावित विकास के क्षेत्र को निर्धारित करता है।
यह संप्रत्यय दोस्तों के सहयोग से सीखने (पियर लर्निंग) को बड़ों के निर्देशन में सीखने जितना ही महत्वपूर्ण और प्रभावशाली मानता है। वाइगाट्सकी मानते हैं कि बच्चों को इस क्षेत्र में रहने का अवसर मिलने पर उनके व्यक्तिगत अधिगम स्तर में बढ़ोत्तरी होगी। इसके साथ ही वे सीखने को लेकर ज्यादा प्रोत्साहित होंगे।
ZPD का एक वास्तविक उदाहरण
उदाहरण के तौर पर राजस्थान के आदिवासी अंचल के प्राथमिक विद्यालय में पढ़ने वाली पहली कक्षा की एक बच्ची बिमला ने पहले साल हिंदी के मात्र 6-7 वर्णों को पहचानना सीखा था। मगर अगले साल तक अन्य बच्चों के सहयोग और शिक्षकों के निर्देशन में धीरे-धीरे 25-26 वर्णों को पहचानना और कुछ मात्राओं को पढ़ना सीख लिया था। यह बात दूसरी कक्षा के आकलन के दौरान सामने अगस्त-सितंबर में सामने आयी।

अपने सहपाठियों को देखकर किताब पढ़ने का अभिनय करती एक छात्रा।
इस परिणाम पर छात्रा के अन्य सहपाठियों के साथ-साथ शिक्षक भी हैरानी जता रहे थे। उस कक्षा में अन्य बच्चों को सीखता हुआ देखने का प्रयास करते हुए, इस छात्रा को भी प्रोत्साहन मिला।
इस कक्षा में अन्य बच्चे साथ पढ़ने वाले बच्चों को पढ़ना सिखाने में बहुत रुचि लेते थे, इसका भी असर निश्चित तौर पर इस बच्ची के सीखने की प्रगति पर पड़ा। इस कक्षा में बच्चों को सीखने और आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया जाता था।
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सिद्धांतो को व्यवहारिक रूप
बेहतरीन लेख
काफी मददगार तकनीकी है जब बच्चों को खुद से देखकर सीखने का अवसर प्रदान किया जाता है। साथ ही साथ ओ अपने साथियों तथा वातावरण के अन्य तत्वों और गतिविधियों से नैसर्गिक रूप में विना अधिक प्रयास के बिना किसी दबाव के बहुत कुछ सीख जाते हैं। जो उन्हें अपने जीवन की दिशा निर्देश करने में अत्यन्त उपयोगी सिद्ध होता है। अच्छा लेख है बृजेश।
प्रतिभा शुक्ला
दिल्ली विश्ववद्यालय
दिल्ली
लिव वाइगाट्सकी के सिद्धांत का व्यावहारिक उदाहरणों के माध्यम से सुंदर व सरल प्रस्तुति
सरल शब्दों में सिद्धान्त समझ आ रहा है….👌