शिक्षा दर्शन

शिक्षा दर्शन में शिक्षा के उद्देश्यों पर विचार किया जाता है। शिक्षा के उद्देश्यों का मानवीय जीवन के उद्देश्यों से क्या रिश्ता है, इसकी पड़ताल की जाती है। शिक्षा दर्शन की परिभाषा। शिक्षा और दर्शन। रूसो का शिक्षा दर्शन। टैगोर का शिक्षा दर्शन। गांधी का शिक्षा दर्शन।

जानलेवा शिक्षाः माता-पिता की महत्वाकांक्षाएं बच्चों की जान ले रही हैं?

किसी बच्चे का सपना होता है कि वह सितारों के अध्ययन में विशेषज्ञता हासिल करना चाहता था। मगर माता-पिता चाहते हैं कि वह इंजीनियर बने। आखिर क्यों? [...]

शिक्षा दर्शनः बच्चों की स्वतंत्रता और सीखने की सहजता के समर्थक थे रूसो

रूसो मनुष्य को मूलतः एक भावनाप्रधान और संवेदनशील प्राणी मानते थे, अतः उसके बौद्धिक विकास की बजाय भावनात्मक विकास पर उनका अधिक आग्रह रहा। [...]

रवींद्रनाथ टैगोरः ‘प्रकृति और सामाजिक संदर्भ से दूर न हो शिक्षा’

रवींद्रनाथ टैगोर भारत के पहले दार्शनिक थे जिन्होंने बच्चों का सवाल उठाया और शिक्षा में व्यापक सुधार का सुझाव दिया। उन्होंने इस सच्चाई पर अफसोस जताया था कि तत्कालीन शिक्षा व्यवस्था किताबों की गुलामी को प्रोत्साहन देती थी। [...]

शिक्षा दर्शनः आज भी प्रासंगिक हैं रूसो

18वीं शताब्दी के महान दार्शनिक ज्यां जाक रूसो शिक्षा में उपदेश की परंपरा के पूर्णतः ख़िलाफ़ थे. उनका बच्चों की अच्छाई में गहरा विश्वास थी. 21वीं शताब्दी में भी उनके विचारों की प्रासंगिकता ज्यों की त्यों बरकरार है. [...]