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जीवन कौशलः बच्चों को गलतियों से सीखने के लिए प्रोत्साहित करें

बच्चे, पढ़ना सीखना, बच्चे का शब्द भण्डार कैसे बनता हैबच्चों के मन में कई तरह के डर होते हैं। जैसे कुछ बच्चों को अपने माता-पिता से काफी डर लगता है। उनको डर होता है कि वे कोई ग़लती होने पर पिटाई करेंगे। बच्चे कहते हैं कि वे गाल पर मारते हैं, लकड़ी से पिटाई करते हैं। लड़कियों का कहना था कि घूमने पर उनकी पिटाई होती है। लड़कों का कहना था कि जब वे किसी काम के लिए मना करते हैं तो उनकी पिटाई होती है। बच्चों के घर का माहौल और स्कूल के माहौल में ज़मीन आसमान का फासला होता है। ऐसे में बच्चों को स्कूल से पूरा सपोर्ट मिले।

बच्चे कैसे करें डर का सामना?

उनके मन के डरों को बाहर निकालने और उसका सामना करने के लिए बच्चों की तैयारी होनी चाहिए ताकि वे निडरता के साथ अपने फैसले लेना। सही-गलत का फर्क करना। जो बात उनको सही नहीं लगती, उसके लिए विनम्रता से मना करना सीख सकें। ये जीवन के वे कौशल हैं, जिसका जरूरत हमें सदैव पड़ती है। किसी बच्चे की परवरिश इस नजरिये से करना कि वह आपकी हर बात मान लेगा। आपकी कही बातों पर सवाल नहीं खड़ा करेगा। यह ऐसे दौर में जब ज़िंदगी के हर मोड़ पर ख़ुद से फ़ैसले लेने की जरूरत पड़ती है, किसी भी एंगल से सही नहीं ठहराया जा सकता है।

बच्चे के प्रयासों की कद्र करें

अगर बच्चा असफल होने के डर से प्रयास करना छोड़ दे। ऐसे काम करना छोड़ दे, जिसमें उसको असफलता की जरा सी भी गुंजाइश हो तो इसे एक संकेत के तौर पर लेना चाहिए कि बच्चे में परिस्थितियों के साथ जूझने वाली क्षमता का विकास बाधित हो रहा है। हर क्षेत्र में बच्चा सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करे, ऐसी अपेक्षा हर अभिभावक की होती है। मगर हर क्षेत्र में हर कोई अव्वल आये। ऐसी अपेक्षा रखना और उम्मीद रखना बच्चों के साथ ज्यादती होगी। हर बच्चे की एक स्वाभाविक क्षमता और रुचि भी होती है। जहां दोनों का आपस में अच्छा तालमेल बैठता है। उसका प्रदर्शन अच्छा होता है। ऐसे क्षेत्र में बच्चों को संतुष्टि भी होती है और उसे ख़ुशी भी होती है।

रुचियों के विकास का मौका दें

अपनी ख़ुशी व संतुष्टि को पहचानना जरूरी है क्योंकि आज के समय में काम के विविध अवसर हमारे सामने हैं। जहां रुचियों और काम के बीच में तालमेल की संभावनाएं तलाशी जा सकती हैं। किसी काम को अच्छे से करते हुए, अपनी रुचियों को वक्त देने की आदत का विकास अगर बचपन से हो तो ऐसे बच्चे आगे चलकर अपनी ज़िंदगी को ज्यादा अच्छे ढंग से बिताने की कला सीख पाएंगे। क्योंकि उनके पास ज़िंदगी जीने के लिए जरूरी संसाधन जुटाने वाली शिक्षा के साथ-साथ जीवन को कैसे ख़ुशी और ज़िदादिली के साथ कैसे जिएं दोनों सवालों का जवाब होगा। इस मसले पर फिर कभी बात करते हैं विस्तार से। अभी के लिए बस इतना ही।

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