जानिए ‘सक्रिय पाठक’ किसी किताब को कैसे पढ़ते हैं?

समझ के साथ पढ़ना सिखाने की रणनितियों को सहज भाषा में बताने वाली किताब है रीडिंग विथ मीनिंग।
किसी किताब को पढ़ना भी एक कला है। इसे भी विकसित करने और सीखने की जरूरत है। हम सभी किताब पढ़ते हैं। लेकिन हम सभी के पढ़ने का तरीका वास्तव में अलग-अलग होता है। आगे बढ़ने से पहले आप खुद सोचिए कि आप किसी किताब को कैसे पढ़ना शुरू करते हैं, क्या पढ़ने के बीच में आप रुकते हैं। किताब को पूरा पढ़ने के बाद क्या करते हैं ताकि उस किताब को आप ज्यादा सक्षम तरीके से समझ सकें। इसके साथ ही साथ आप उस किताब के बारे में अपने दोस्तों और बाकी लोगों को आसानी के साथ बता सकें।
अगर आपकी दिलचस्पी ऐसे ही सवालों में है तो आप भी जानिए कि ‘सक्रिय पाठक’ किसी किताब को कैसे पढ़ते हैं। इसी आइडिया को डेबी मिलर अपनी किताब रीडिंग विथ मीनिंग में कुछ यों समझाती हैं, आप भी पढ़िए।
किताब पढ़ने से पहले
- किताब पढ़ने से पहले एक सजग पाठक किताब का नाम क्या है और उसे किसने लिखा है, इस बात पर ध्यान देता है। इसके बाद कवर पेज़ को ग़ौर से देखता है। किताब के पीछे लेखक या किताब के बारे में क्या लिखा गया है, इसको भी एक सक्रिय पाठक बड़े ध्यान से पढ़ता है।
- वे खुद से सवाल पूछते हैं कि हम इस तरह की सामग्री के बारे में क्या जानते हैं? इस कहानी के बारे में मुझे क्या मालूम है? इस टॉपिक के बारे में? और किताब के लेखक और चित्रांकन करने वाले व्यक्ति के बारे में मुझे क्या जानकारी है?
- वे किताब के बारे में सोचते हैं और एक पूर्वानुमान लगाते हैं कि कहानी किस बारे में हो सकती है या फिर वे इस किताब को पढ़कर क्या सीख/जान सकते हैं।
किताब पढ़ने के दौरान
- किताब पढ़ते समय एक पाठक की पैनी नज़र तस्वीरों की तरफ भी होती है
- वे किताब को पढ़ते समय उन शब्दों का सहारा लेते हैं, जिनका अर्थ उन्हें पहले से पता होता है
- वे अपनी भाषा का इस्तेमाल किसी किताब को पढ़ने के लिए जिससे जुड़ते टॉपिक के बारे में उन्होंने पहले से सुन रखा है।
किताब पढ़ने के बाद
- यह किताब किस बारे में थी
- मैंने क्या नया सीखा
- मुझे अभी किताब पढ़कर कौन सी नई बात पता चली है, जो मैंने पहले नहीं समझी थी
- मैंने बतौर रीडर या पाठक खुद के बारे में क्या सीखा या जाना।
किताब पढ़ने के बारे में एक जरूरी सलाहः
- रोज़ाना छोटी-छोटी चार किताबें स्वतंत्र रूप से या दोस्तों की मदद लेकर पढ़ें
- किसी एक किताब के बारे में अन्य दोस्तों के साथ या समूह में जरूर बात करें
- अपनी किसी पसंदीदा किताब को बार-बार पढ़ें, उसको गहराई से समझने का प्रयास करें
- अपनी लिखी हुई सामग्री को पढ़ें और दोस्तों द्वारा लिखे हुए किसी कहानी या कविता को पढ़ें
- कक्षा में लगी हुई कविताओं के पोस्टर, निर्देशों व अन्य लिखित सामग्री को पढ़ें जो आपके आसपास मौजूद है।
(एजुकेशन मिरर का यह लेख पढ़ने के लिए आपका शुक्रिया। शिक्षा से जुड़े लेख साझा करें educationmirrors@gmail.com या Whatsaap: 9076578600 पर। हम उनको एजुकेशन मिरर पर प्रकाशित करेंगे ताकि अन्य शिक्षक साथी भी इससे लाभान्वित हो सकें।)
बहुत ही सारगर्भित आलेख है, हमारे पूर्वाग्रह पूर्वानुमान अज्ञता जडता को बहुत अच्छे ढंग से प्रस्तुत और परिभाषित किया गया हैं ।
जब हम किसी किसी व्यक्ति/वस्तु ,स्थावर /जंगम को साक्षी भाव से , निस्वार्थ और निस्पक्ष तथा निस्पृह भाव से देख सकते है, तो हम लेखाकार के मन्तव्य/लक्ष्य के निकट हम अपने आप को पायें गे ।
धन्यवाद,
🙏🌷
राकेश कुमार चतुर्वेदी
सहायक अध्यापक
प्राथमिक विद्यालय कनकहा-1
मोहनलालगंज लखनऊ
इस आलेख के बारे में डॉ. केवल आनंद काण्डपाल जी कहते हैं, “पठनीय आलेख। भाषा शिक्षकों को तो जरूर पढ़ना चाहिए।”
जैसा की लेख में लिखा है कि सक्रिय पाठक पढ़ते वक्त जागरूक रहते हुए, मैं क्या जानता हूं, मैं क्या सीख रहा हूं, इस ओर सजग रहते हैं। वे चित्र आदि को भी पढ़ने का पूरा आनंद लेते हैं। इसी के साथ अपने संदर्भों को जोड़ते हुए भी चलते हैं। उनका चित्त हर्ष, विषाद,करुणा जैसे मानव मूल्यों के साथ पठन की यात्रा करता है और अपने जीवन के प्रसंगों को भी जोड़ता चलता है, तो यह पठन जीवंत हो जाता है।
मनोहर चमोली जी से पूछा, “बतौर पाठक और लेखक आपके क्या अनुभव हैं, इस लेख के संदर्भ में”
उनका जवाब मिला, ” शायद, हर पाठक का अनुभव अलग हो सकता है। किताबें हर किसी को बेहतर कल का अनुभव देती है। मुझे लगता है यह भूख जैसा भी है। उस से आगे है। भूख भोजन कर लेने के बाद समाप्त हो जाती है। किताब एक यात्रा है। पूरी होने के बाद नया सफर देती है।”